माना कोई नाम या पहचान बदलकर दोस्ती कर ले इसमें कोई दिक्कत नहीं, लेकिन फिर दोस्ती के नाम पर जब शारीरिक संबंध बना ले वो भी लड़की की इच्छा से तो सवाल माता पिता को परवरिश पर भी उठने चाहिए, ऐसे माता पिता के साथ इस दुखभरे समय पर खड़े तो होना चाहिए लेकिन जब तक ऐसे माता पिता की परवरिश पर प्रश्न चिन्ह नही लगाए जाएंगे तब तक समाज के अन्य माता पिता को समझ नहीं आएगा की उन्हें अपने बच्चों को धर्म ज्ञान देना, संस्कार देना कितना जरूरी है।
जेहादी तो जेहादी हैं उन्हें तो कयामत, फिर जन्नत, फिर 72 हूरें चाहिए और उसके लिए वो लगातार कार्यरत भी हैं , वो बचपन से ही अपने बच्चों को जेहादी बनाना का काम शुरू कर देते हैं लेकिन हिंदू? वो इतने धूर्त होते हैं की मौज मस्ती करते करते बच्चे पैदा के लेते हैं और फिर उन्हें A फॉर एप्पल , ट्विंकल ट्विंकल दिखाकर उनके भविष्य के बर्बाद करने में लग जाते हैं
जिस उमर में वो मदरसों में दीनी तालीम लेने जाते हैं उस उम्र मैं हिंदू बच्चे बेबी सिटिंग में ना जाने क्या सीख रहे होते हैं और ये सब माता पिता के चोचले मात्र हैं, कुछ तो अपनी नौकरी आदि यानी पैसे कमाने के चक्कर में बच्चों को बेबी सिटिंग में भेजते हैं और कुछ स्टेट्स के झूठे दिखावे में और बचे कूचे देखा देखी भेड़ चाल चलते हैं और ये काम शहरों के हिंदू ही नहीं अब तो गावों के हिंदू भी करने लगे हैं।
अरे मूर्खों बचपन में बच्चों को अपना स्नेह दो उन्हें अपने धर्म, देवी देवताओं, संस्कारों, परमापराओं से जोड़ो ताकि वो पूरी जिंदगी उनसे जुड़े रहें, जब आप नींव ही कमजोर कर देते हो तो अंत आते आते आपने बच्चे भी बर्बाद होते हैं और आपका बुढ़ापा भी ... क्योंकि जैसा बोओगे वैसा पाना भी तय हैं।
हिंदुओं को चाहिए की वो बच्चों को बचपन में अपना भरपूर स्नेह हैं, दादा दादी, नाना नानी के पास रखें और उनसे भी कहें की मॉडर्न बनकर 1,2,3,4 या A B C D ना पढ़ाएं बल्कि धर्म से जुड़ी बातें बताएं , इतिहास से जुड़ी अच्छी कहानियां (छत्रपति शिवाजी महाराणा, वीर महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, बाजीराव पेशवा, हांडी रानी, मां पद्मिनी) सुनाए ताकि बच्चे खुदको गौरांवित महसूस करें। थोड़े बड़े हो जाएं तो पूजा पाठ, मंदिर आदि से जोड़ें, श्रीमद्भागवत गीता जरूर पढ़ाएं (गीता प्रेस की ही लें तो उत्तम पुस्तक आप ऑनलाइन गीता प्रेस से खरीद सकते हैं या समिति से भी आप प्राप्त कर सकते हैं हमसे संपर्क करें जो पैसे देने में असमर्थ हैं उन्हें निशुल्क भी उपलब्ध कराई जाएंगी पूरे भारत में कहीं भी) जेहादियों, वामपंथियों, मिशनरियों की घिलोंनी सच्चाई से अवगत कराएं
ये सब हर हिंदू माता पिता का कर्तव्य है और यदि ऐसा नहीं कर सकते तो आपको मां बाप , दादा दादी, नाना नानी जैसे पवित्र शब्दों से सुशोभित होने का कोई अधिकार ही नहीं।
उठो, जागो हिंदुओं और धर्म को समझो, धर्म को धारण करो और उसका प्रचार प्रसार कर, और प्रचार प्रसार ना सही कम से कम अपने बच्चों को तो इसका ज्ञान जरूर दो।