इस वर्ष 2023 का सावन विशेष है क्योंकि 19 वर्षों बाद सावन मास और पुरुषोत्तम मास एक साथ आ रहे हैं।
सावन में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है।
साथ ही यह वह माह भी है जब समुद्र मंथन हुआ था और विषपान करने के कारण शिव जी को नीलकंठ नाम मिला था।
सावन में ही माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया था।
ऐसा माना जाता है की मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु प्राप्त करने के लिए सावन महीने में ही भगवान शिव की घोर तपस्या की और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनको वरदान दिया।
विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो हमारा पाचन तंत्र सूर्य पर निर्धारित है। सावन के महीने में सूरज बहुत कम निकलता है जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है। यही कारण है कि जल जनित रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
ऐसी स्थिति में हमें अपने पाचन तंत्र को आराम देने की जरूरत होती है। इसी वजह से सावन के महीने में बैंगन, पत्तेदार साग-सब्जियां, माँसाहारी भोजन और शराब की मनाही होती है ताकि हमारा पाचन तंत्र अच्छा बना रहे।
सावन में साग पित्त बढ़ाने का काम करता है। इसके कारण पाचन से संबंधित समस्या होती है। बारिश के मौसम में साग में कीट पतंगे भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में साग नहीं खाना चाहिए।
ॐ नमः शिवाय☘️
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