किसी विवाह समारोह या पार्टी में पुरुष के पेंट की ज़िप भी खुली रह जाय तो वो बड़ा लज्जित महसूस करता है वहीं कुछ अभिजात्य और आधुनिक वर्ग की स्त्री जब तक अपनी उघड़ी हुई पीठ,नाभिदर्शन और अधखुले वक्ष न दिखा दे उसके कलेजे को ठंडक नहीं मिलती मातृशक्ति अन्यथा न लें,
पर,जो सत्य है वो सत्य है....!!
आधुनिकता के नाम पर ये नंगापन क्यों फैल रहा है, आखिर क्यों सभ्य समाज खुद ही अपने आप को नंगा कर रहा है ? आखिर क्यों महिलाएं जो समाज की प्रतिष्ठा होती हैं वो अपने अंगों का प्रदर्शन करती है जिससे समाज में व्याप्त राक्षस इनपर की दृष्टि डालते हैं और अवसर मिलते ही अपनी हवस का शिकार बना लेते हैं।
आधुनिकता के नाम पर आंधनुकरण से बचिए, मातृशक्ति शरीर दिखाने में नहीं है। मां सीता, शिवाजी को माता ,
आखिर किस किस को सोच बदलोगे? कैसे बदलोगे? ये कलयुग हैं यहां अनेकों दानव हैं , साथ ही समाज में बॉलीवुड और कथित फेमिनिस्ट लोगों के द्वारा महिलाओं को भोग की वस्तु के रूप की प्रस्तुत किया हुवा है, छोटे छोटे बच्चों से लेकर सभी के मन अलग अलग मार्ग से (बॉलीवुड, सोशल मीडिया, OTT, इत्यादि) काम भरा गया है , साथ ही धर्म से दूर कर दिया गया है तो अब सोच बदलने की बात करना कितना उचित है।
रही बात जेहादियों की तो उनका तो मुख्य काम हो है हिंदू लड़कियों को अपना शिकार बनाना। 72 हूरों के सपने देखने वाले जाहिल तो समाज में फैले हुए हैं, रेकी करते हैं , लड़कियों को अलग अलग तरीके से फांसते हैं और फिर शिकार बना लेते हैं।
दुनिया की सोच बदलने से जरूरी है खुदको सुरक्षित रखना, बाकी सबकी अपनी अपनी सोच