रश्मि को अपनी सुन्दरता पर बहुत घमंड था इस वजह से वो अपनी छोटी बहन नूपुर को कभी भी अपने साथ कहीँ नही ले जाती...
रश्मि और नूपुर मैं दो साल का अंतर था जहां रश्मि बला की खूबसूरत थी बही नूपुर दिखने मैं साधारण....
जब भी दोनों बहने साथ कही जाती तो रश्मि को तारीफ मिलती और नूपुर को ताने की ये तो इस घर की लगती ही नही....
नूपुर फिर भी अपनी बहन को बहुत प्यार करती पर रश्मि को अपने घमंड मैं उसका प्यार भी नही दिखता...
नूपुर पढ़ाई के साथ घर के काम मैं भी मां का हाथ बटा देती धीरे धीरे नूपुर हर काम मै होशियार थी और संस्कारी तो बचपन से ही थी...
मां रश्मि को कई बार समझाती बेटा इतना घमंड अच्छा नही खूबसूरती के साथ संस्कार भी जरूरी है कल को पराए घर जाओगी ऐसे कोई पसंद नही करेगा...
रश्मि बोलती मां मेरे लिए तो लाइन लग जाएगी रिश्तों की तुम नूपुर की चिंता करो....
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एक दिन एक ऊंचे परिवार का रिश्ता आया लड़का भी बहुत सुंदर था रश्मि के पांव तो जमीन पर नही पड़ रहे थे.
लड़के वाले आए नूपुर ने बहुत तैयारी करी और सबको सर्व भी कर रही थी सब उसके संस्कार देख बहुत प्रभावित थे....
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गलती से नूपुर के हाथ से चटनी रश्मि के उपर गिर गई रश्मि गुस्से मै भूल गई की सब बैठे है अपनी आदत के अनुसार नूपुर को जलील करने लगी....
ये सब देख लड़के वालों ने अपना इरादा बदल नूपुर का हाथ मांग लिया लड़के को भी नूपुर पसंद थी रश्मि की मां बोली पर रिश्ता तो रश्मि के लिए था....
लड़के वालों ने कहा हमें बहु सुंदर भले न हो संस्कारी चाहिए मां इतना अच्छा रिश्ता हाथ से नही जाने देना चाहती थी तो उन्होंने हां कर दी....
रश्मि का घमंड टूट चुका था उसे समझ आ गया खूबसूरती ही सब कुछ नही होती..!!