GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक ०९
सोमवार ०५/०६/२०२३
आषाढ़ कृष्ण ०१, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 06:38 तक तत्पश्चात द्वितीया (06 जून प्रातः 03:48 तक)
⛅दिनांक - 05 जून 2023
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 01:23 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
⛅योग - साध्य सुबह 08:49 तक तत्पश्चात शुभ (06 जून प्रातः 05:25)
⛅राहु काल - सुबह 07:35 से 09:16 तक*
⛅सूर्योदय - 05:54
🌥️सूर्यास्त - 07:22
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:11 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 12:59 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - गुरु हरगोविंद सिंहजी जयंती, विश्व पर्यावरण दिवस
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2023🔹
🌹 हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🌹
🌹 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
🌹 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।
🌹 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है ।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)
🔹प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔸आँवला-सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।
🔹बेल (बिल्व)🔹
🌹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🌹 जिस स्थान में बिल्ववृक्षों का घना वन है, वह स्थान काशी के समान पवित्र है ।
🌹 बिल्वपत्र छः मास तक बासी नहीं माना जाता ।
🔹चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।
🌹 40 दिन तक बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है ।
🔹घर के आँगन में बिल्ववृक्ष लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी होता है । बेल का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है ।
🌹 तुलसी 🌹
🌹 गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है । तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है ।
🌹 मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.42)
🌹 तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए ।
🌹 घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है ।
🌹 पीपल 🌹
🌹 जो मनुष्य पीपल के वृक्ष को देखकर प्रणाम करता है, उसकी आयु बढ़ती है तथा जो इसके नीचे बैठकर धर्म-कर्म करता है, उसका कार्य पूर्ण हो जाता है । जो मूर्ख मनुष्य पीपल के वृक्ष को काटता है, उसे इससे होने वाले पाप से छूटने का कोई उपाय नहीं है । (पद्म पुराण, खंड 7, अ.12)
🌹 घर में पीपल का वृक्ष होना उचित नहीं है परंतु खुली जगह में पश्चिम दिशा में पीपल संपत्तिकारक है ।