GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ३ कर्मयोग श्लोक १८
आज का पंचांग
मंगलवार १३/०६/२०२३
आषाढ़ कृष्ण दशमी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 09:28 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅दिनांक - 13 जून 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रेवती दोपहर 01:32 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅योग - सौभाग्य सुबह 05:55 तक तत्पश्चात शोभन
⛅राहु काल - शाम 04:03 से 05:44 तक
⛅सूर्योदय - 05:54
⛅सूर्यास्त - 07:26
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:01 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
एकादशी तिथि में चावल खाना वर्जित है ।
🌹 योगिनी एकादशी - 14 जून 2023 🌹
🔸एकादशी 13 जून सुबह 09:28 से 14 जून सुबह 08:48 तक
व्रत उपवास 14 जून बुधवार को रखा जायेगा ।
🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🔹भोजन सम्बन्धी कुछ नियम🔹
🔸सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम है:- (भाग -२)
👉 (१२)ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीनभाव, द्वेषभाव, के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है ।
ईर्ष्यया च भयेन च क्रोधेण च लोभेन च रोगेण च दीनभावेन च द्वेषभावनया स सह खादितं भोजनं कदापि न पच्यते ।
👉 (१३)आधा खाया हुआ फल, मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए ।
अर्धभक्षितानि(उच्छिष्टानि) फलानि मिष्टान्नानि च अभक्षितव्यानि ।
👉 (१४)खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए ।
मध्ये एव भोजनं विहाय उठिष्ठेत् चेत् पुन: भोजनं न करणीयम् ।
👉 (१५)भोजन के समय मौन रहे ।
भोजनकाले मौनं धारयेत् ।
👉 (१६)भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए ।
भोजनं भृशं चर्वित्वा-चर्वित्वा खादेत् ।
👉 (१७)रात्री में भरपेट न खाए ।
रात्रौ परिपूर्णोदरं भोजनं न कुर्यात् ।
👉 (१८)गृहस्थ को ३२ ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए ।
गृहस्थ: द्वात्रिंशत्कवलेभ्योऽधिकं न भक्षयेत
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️