मोर्गन स्टेनली जब कहता है कि भारत अब 2013 जैसा नही रहा तो कुछ बातों से समझिए कि कांग्रेस ने क्या हाल कर दिया था।
भारत IMF के बेलआउट पर पहुंच गया था जैसा आज भारत के पड़ोसी देश हैं। महंगाई 10% से ऊपर भाग रही थी। खाद्य महंगाई 19% पर थी। भारत का डेफिसिट भी डबल डिजिट पर पहुंच चुका था। डॉलर 4 महीने में ही 52 से 68 रुपये चला गया था।
इसके 2014 चुनाव को देखते हुए इन्होंने 25 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया जिसे 3 से 5 साल में चुकाना था। इससे इन्होंने डॉलर का कम दिखाया।
सिलेंडर इन्होंने 6 से 9 किये सब्सिडी वाले ताकि जनता को महंगाई कम लगे। महंगाई तो रुकी नही लेकिन फिर इन्होंने कर्ज माफ दिखाए जो भी इन्हें करने नही थे बस चुनाव का लॉलीपॉप था। आयल बांड के भरोसे इन्होंने तेल सस्ता करने की कोशिश की जो भी अगली सरकार के माथे पड़ना था।
ये तो सोना तक गिरवी रखने का मन बना चुके थे। इनका तो प्लान ये भी था कि 10000 के नोट छाप महंगाई कंट्रोल करो। उसके बाद महंगाई जो रॉकेट 20, 25, 30% जाती तो ठीकरा आने वाली मोदी सरकार पर डाल देते। जीडीपी ग्रोथ चल रही थी रियल स्टेट के माध्यम से जो हाई ग्रोथ लो एम्प्लोमेन्ट पर चलती है।
ये सब हो रहा था दो महानतम अर्थशास्त्रियों के रहते, एक मनमोहन और एक राजन।और चिदम्बरम को जोड़ दें तो 3 अर्थशास्त्री हो गए।
ऐसा ही ज्ञान ये कोरोना के समय दे रहे थे लेकिन सरकार ने इन्हें अनसुना कर दिया। वरना इस समय जिसे महंगाई कहते हैं उसे आप देख रहे होते और ये फिर पलटी मार कहते कि मोदी ने देश बर्बाद कर दिया।
लेकिन आज भी ये नही सुधरे हैं और बड़ी बड़ी बाते करते हैं जब भारत के लिए कहा जाता है कि दुनिया भर के रिसेशन के खतरे में भारत मे रिसेशन 0% रहेगा। आज भी घमंड ये है कि खुद को महान अर्थशास्त्री और दूसरों को मूर्ख कहते हैं।
आप लोग इनकी करतूत याद नही रखते इसलिए ये हर बार आपको मूर्ख बना झांसा देने में लगे रहते हैं।