अब चौंका देने वाली जानकारी ये सामने आ रही हैं की पास की एक मस्जिद से भी एक रास्ता स्कूल के लिए जाता है।
ध्यान रहे हिंदुओं ये मामला केवल 1 स्कूल का नहीं अपितु विचार कीजिए को जैसे इस स्कूल में खेल चल रहा था वैसे ही देश के कितने स्कूलों में जेहादी ताकतें एक्टिव होंगे और कितने स्कूलों में हमारे बच्चों के ब्रेन वाशिंग का काम चल रहा होगा?
हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए भेज रहे हैं लेकिन स्कूलों में तो बच्चों का धर्मांतरण किया जा रहा है ,उन्हें जेहादी, आतंकी ना जाने क्या बनाया जा रहा है। जिन बच्चों को हम देश के विकास के लिए तैयार कर रहे हैं कही वो देश के विनाश के साधन तो नहीं बन रहे।
Opindia को रिपोर्ट के अनुशार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस स्कूल की मान्यता स्थायी रूप से समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने 7 जून 2023 को किए एक ट्वीट में बताया है, “दमोह के कलेक्टर को नया नोटिस जारी किया है। जिला प्रशासन द्वारा दर्ज FIR में बच्चों के बयान के आधार पर मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, राष्ट्र के मानचित्र के साथ छेड़खानी एवं संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन की धाराएँ बढ़ाने तथा स्कूल के अस्थायी निलंबन के स्थान पर स्थायी रूप से मान्यता समाप्त करने के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।”
इस स्कूल का खेल तब पकड़ा गया जब उत्तीर्ण छात्राओं का पोस्टर लगा जिसमे हिंदू लड़कियों को भी हिजाब पहनाया हुवा था, फिर इस स्कूल में अनेकों अनियमितताएं पाई गई और शिवराज सरकार ने इसकी मान्यता रद्द करने की बात कहीं। घटनाक्रम के अनुरूप लोगों ने दमोह के कलेक्टर को भी इनसे मिला हुवा बताया।
टीवी9 भारतवर्ष ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इस स्कूल के पास एक मस्जिद भी है। इस मस्जिद से भी एक रास्ता स्कूल को जाता है। हिंदू छात्रों से बातचीत का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को एक भी श्लोक या सरस्वती वंदना नहीं आती। लेकिन कुरान की आयतें उन्हें याद है। बच्चों के अनुसार कुरान की आयतें याद नहीं होने पर शिक्षक पिटाई करते थे। रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के किए जा रहे ब्रेनवॉश की अभिभावकों को खबर नहीं थी।
कक्षा 9 की एक छात्रा ने बताया, “मैं नर्सरी से गंगा जमुना स्कूल में पढ़ रही हूँ। ड्रेस हमें स्कूल से ही मिलती है। हिजाब पहनना अनिवार्य है। नहीं पहनने पर शिक्षक टोकते हैं। हम घर से हिजाब पहनकर नहीं निकलते थे। स्कूल गेट पर पहुँचकर हिजाब पहनते थे।” इस छात्रा के अनुसार, “पहली कक्षा से ही उर्दू की पढ़ाई अनिवार्य है। स्कूल में तिलक लगाना और कलावा बाँधना प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर शिक्षक रोकटोक करते हैं।”
इस स्कूल को प्रधानाध्यापिका समेत 3 शिक्षिकाए भी धर्मांतरित है।