➰।।हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वंदे ।➰।
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👉जन्मदिन मनाने की वैदिक पद्धति क्या है?
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👉आयु की वृद्धि के लिए प्रत्येक वर्ष चन्द्रमान से जन्मतिथि पर ही वर्धापन करना चाहिए। जिस दिन जन्मनक्षत्र मिले उस दिन ही जन्मतिथि मानना चाहिए। जिस दिन सूर्योदय से न्यूनतम दो मुहुर्त (लगभग ३ घंटे) हो वही दिन चुनें। जिस दिन दो मुहुर्त से कम हो उसे छोड़ दे। यदि किसी वर्ष जन्ममास अधिकमास है तो शुद्ध मास ही ग्रहण करे।
👉अंग्रेजी जन्मतिथि से जन्मतिथि नहीं लेना चाहिए अपने पञ्चांगानुसार मास तिथि नक्षत्र और मुहूर्त लेना चाहिए ।
👉जन्म तिथि पूजन कर लिए किसी पंडित जी को बुलाकर या फिर स्वयं पूजा विधान करे ---
👉यजमान (जातक) प्रसन्न मन से शान्त व मौन पूजा में पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा अक्षत लेकर बैठे।
👉सर्व प्रथम गंगाजल से पवित्र होकर शुद्ध वस्त्रादि पहनकर तिलकादि लगाकर अपवित्र धारण करके संकल्पकरें--
संकल्प:-हरि:ॐविष्णोर्विष्णोर्---------सकलारिष्ट बाधा निवारणार्थे श्रीविष्णुप्रीतये आयुः आरोग्य अभिवृद्धये वर्धापन कर्म करिष्ये। (... स्थान पर पूरा संकल्प मंत्र अपना गोत्र, नाम आदि उच्चारण करना है)
👉फिर विधिवत भूमिपूजन कलश गणेश गौरी नवग्रह दीपक का पूजन कर के जन्म-नक्षत्र के स्वामी (नाम नीचे चित्र में) , पितर, प्रजापति, सूर्य, मार्कण्डेय, अश्वत्थामा, बलि, व्यास (कृष्ण द्वैपायन व्यास), हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, प्रह्लाद और षष्ठी देवी को आमंत्रित कर, पूजन करे। फल मिष्ठान आदि का भोग लगाए।साथ ही साथ अपने कुल देवी और कुलदेवता का भी पूजन करकेभोग सामग्री अर्पित करना चाहिए ।
👉फिर हांथ जोड़कर प्रार्थना करे:-
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ॐ मार्कण्डेयाय मुनये नमस्ते महदायुषे।
चिरंजीवी यथा त्वं भो! भविष्यामि तथामुने।
रूपवान् वित्तवाञ्चैव श्रियायुक्तश्च सर्वदा।।
मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पान्त जीविनः।
आयुरारोग्य सिद्ध्यर्थमस्माकं वरदो भव।
चिरंजीवी यथा त्वं तु मुनीनां प्रवरोद्विजः।
कुरुश्व मुनिशार्दूल तथा मां चिरजीविनम्।
नराणाम् आयुरारोग्य ऐश्वर्य सौख्यसुखप्रदः।
सौम्यमूर्ते नमस्तुभ्यं भृगुवंशवराय च।।
महातपे मुनिश्रेष्ठ सप्तकल्पान्त जीवनम्।
मार्कण्डेय नमस्तुभ्यं दीर्घायुष्यं प्रयच्छ मे।।
मार्कण्डेय महाभाग प्रार्थये त्वां कृताञ्जलिः।
चिरंजीवी यथा त्वं भो! भविष्येऽहं तथा मुने।।
👉इस प्रकार मुनि की प्रार्थना कर षष्ठी देवी की प्रार्थना करे:-
जय देवि जगन्मातर्जगदानन्दकारिणी।
प्रसीद मम कल्याणि नमस्ते षष्ठिदेवते।।
त्रैलोक्ये यानि भूतानि स्थावराणि चराणि च।
ब्रह्मविष्णुशिवैस्सार्द्धम् रक्षां कुर्वन्तु तानि मे।
इस प्रकार देवी की आराधना कर
👉चिरंजीवियों की प्रार्थना करे:-
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमानश्चविभीषणः
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः।
सप्तैतान् संस्मेन्नित्यं मार्कण्डेय तथाष्टमम्।
जीवेद्वर्ष शतं साग्रम् अपमृत्युर्विवर्जितम्।।
प्रीयन्तां देवताः सर्वाः पूजां गृह्णन्तु ता मम।
प्रयच्छन्त्वायुरारोग्यं यशस्सौख्यं च सम्पदः।।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं महामुने।
यदर्चितं मया देवाः परिपूर्णं तदस्तु मे।।
इसके पश्चात् कच्चे दूध में काली तिल और गुड़ मिलाकर भोग लगाए और निम्न श्लोक को पढ़ कर उसे वहीं पी ले।
सतिलं गुडसम्मिश्राञ्जल्यर्धमितं पयः।
मार्कण्डेयाद्वयं लब्ध्वा पिबाम्यायुर्विवृद्धये।।
👉हवन--
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उपर्युक्त पूजित प्रत्येक देव के नाम से यथासंख्यानुसार आहुतियाँ दें।
👉तत्पशचात् गोदान दक्षिणा ब्राम्हण कोदेकर आरती आदि करके विसर्जन करने तथा प्रसाद वितरण करें।
👉ब्राह्मण/बटुक/कन्या को भोजन कराएं।
👉इस दिन का विशेष नियम:- नख या केश न कटवाएं, मैथुन अथवा यात्रा न करें। आमिष भोजन,कलह, हिंसा न करें। उष्ण जल से स्नान नहीं करे।