ladies स्त्रियों के अर्धनग्न और छोटे कपडो़ में घूमने पर जो लोग या स्त्रियाँ ये कहते हैं कि कपड़े नहीं सोच बदलो (Mentality) उन लोगों से कुछ प्रश्न हैं.!! आशा है आप जवाब देंगे..🙏
🔸1) पहली बात - हम सोच क्यों बदलें.?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही रही है.??? आपके अनुचित आचरण के कारण.??? और आपने लोगों की सोच का ठेका लिया है क्या.??
🔸2) दूसरी बात - आप उन लड़कियों की सोच का आकलन क्यों नहीं करते.?? कि उन्होंने क्या सोचकर ऐसे कपड़े पहने कि उसके स्तन , पीठ, जांघे (Boobs, back, thai's) इत्यादि सब दिखाई दे रहा है... इन कपड़ों के पीछे उसकी सोच क्या थी.?? एक निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे, वहीँ दूसरी तरफ एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उसे इस तरह से देखे।
🔸3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए.??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए... सोच बदलिये.. वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती... आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए... उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये.???
👉हत्या, डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये... सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों.? क्योंकि ये सारे कार्य अभिव्यक्ति की आज़ादी की श्रेणी में ही आते हैं।
🔸4) कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे... पुरुष नहीं... जी बहुत अच्छी बात है... आप ही तय करें... लेकिन हम पुरुष भी किन लड़कियों का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रियां नहीं... और...
👉"हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे।"
🔸5)फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की...
👉जी बिल्कुल आज़ादी है, ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो, गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो, वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो, पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो.???
🔸6) लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा कि क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे.??? क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं.??? जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती हैं कि...
"🤷🏻♂️हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"???
▪️कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती हैं.??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था...
👉सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता (से....) भी है।
▪️आचार्य कौटिल्य ने चाणक्य सूत्र में वासना' को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।
▪️यदि यह नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां पूर्ण आधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती.???
▪️गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधों को जन्म देती है। इसको किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है.!!!
विचार करिए और चर्चा करिए... या फिर मौन धारण कर लीजिए.!!!