आज के समय स्थिति यह है कि कोई भी सच दिखाने वाली फिल्म रिलीज होती है तो वह मुहावरा सच होने लगता है "चोर की दाढ़ी में तिनका" यानी जो गलत है वह उस फिल्म को ही प्रोपेगेंडा या गलत या देश को तोड़ने वाला सिद्ध करने का प्रयास करने लगता है। लेकिन सच तो सच है वह सामने आ ही जाता है।
पहले लोगों ने कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगेंडा बताया उसके बाद तक केरला स्टोरी को भी प्रोपेगेंडा ही बताया और अब जो फिल्म अभी तक रिलीज भी नहीं हुई जिसका नाम है अजमेर 92 जो अजमेर में हुए एक भी बस रेप कांड का खुलासा करने जा रही है उस फिल्म के रिलीज होने के पहले ही कुछ लोग फड़फड़ाने लगे हैं और इस फिल्म को देश को तोड़ने वाली सिद्ध करने में आगे बढ़कर प्रयास करने लगे हैं।
जमीयत के मौलाना इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग करते हुए कहते हैं कि यह फिल्म दरगाह को बदनाम करने की इच्छा से बनी है लेकिन जिस समय एक कांड हुआ तब इन लोगों ने यह बात नहीं कही की दरगाह से जुड़े लोग ऐसी हरकत कर रहे हैं इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए?
मौलाना मदनी ने कहा, “अजमेर की घटना का जो रूप बताया जा रहा है, वह पूरे समाज के लिए बहुत ही पीड़ादायक है। इसके विरुद्ध बिना किसी धर्म और संप्रदाय के सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, लेकिन हमारे समाज को इस दुखद घटना को सांप्रदायिक रंग देकर इसकी गंभीरता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। मैं केंद्र सरकार से इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की माँग करता हूँ।”
क्या है अजमेर का बलात्कार कांड जिसने सैकड़ों परिवारों को बर्बाद किया... जिसके तार दरगाह से भी जुड़े बताए जाते हैं👇👇