कन्हैया लाल हत्याकांड याद है या भूल गए? नूपुर शर्मा के मामले में "जुबैर" द्वारा फैलाए गए झूठ के कारण कन्हैया लाल का हुआ सर तन से जुदा जिसको आज यानी 28 जून को 1 वर्ष पूरा हो चुका है। क्या कन्हैयालाल के हत्यारों को हमारा कानून सजा दे पाया? और नूपुर के मामले में झूठ फैला कर इस हत्या की पटकथा लिखने वाले "जुबैर" को कोई सजा हुई?
1 साल बाद भी अपराधियों को सजा नहीं मिल पाई है और इसीलिए कन्हैयालाल के परिजनों ने अब तक कन्हैया लाल की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया है। यह हमारे देश के कानून और न्याय तंत्र के लिए बड़ी ही शर्मनाक बात है। लाइव मर्डर होता है सारे साक्ष्य सामने है खुद हत्यारों ने हाथों में खंजर लहराते हुए अपने अपराध को बड़े गर्व से बयां किया था, उसके बावजूद हत्यारे 1 साल बाद भी अब तक जीवित है
ट्विटर पर इसी विषय को लेकर एक ट्रेंड चलाया जा रहा है #ArrestDigitalJihadiZubair अगर आप भी कन्हैयालाल को न्याय दिलाना चाहते हैं तो इस ट्रेंड में अपना योगदान जरूर सुनिश्चित करें।
यह ट्रेंड इसलिए चलाया जा रहा है क्योंकि कन्हैया लाल को मारने वाले तो दो मुस्लिम थे ही जिनमें से एक का नाम रियाज अत्तारी और दूसरे का नाम मोहम्मद गौस था जिन्होंने कन्हैयालाल को उसकी दुकान में जाकर गला रेत कर मार डाला था जिसके बाद उसका वीडियो भी वायरल हुआ था। लेकिन इस हत्या की पटकथा डिजिटल ही अफवाह फैलाकर लिखी गई जिसका मुख्य दोषी जुबैर है ऐसा लोगों का मानना है..
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आज 1 साल बाद भी मां हर पल खौफ के साए में जिने को मजबूर है. बेटे घर आने में थोड़े भी लेट हो जाए तो चिंता में डूब जाती है. यही नहीं परिवार ने अभी तक कहैन्या लाल की अस्थियों का गंगा में विर्सजन तक नहीं किया है. उनका मानना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं होगी कन्हैयालाल की आत्मा को शांति नहीं मिल सकती है.
कन्हैयालाल हत्याकांड के एक साल बाद जिस मालदास स्ट्रीट में उनकी हत्या हुई, वहां का माहौल भी अब पूरी तरह शांत हो गया है. यहां के व्यापारियों की माने तो शहर के अन्य बाजारों की तरह मालदास स्ट्रीट का बाजार भी पूरी तरह से पटरी पर लौट आया है. लेकिन कन्हैयालाल की हत्या के बाद जिस गली में उनकी दुकान थी, वहां की गली जरूर विरान हो गई है. वहां, जाने पर एक अजीबसा सन्नाटा महसूस होता है. साथ ही इस बाजार में आने वाला अनजान व्यक्ति यह जरूर पूछताछ है कि कन्हैयालाल की हत्या कहां हुई थी.
कन्हैयालाल के परिवार के सदस्य बाताते है कि घटना के एक साल बाद भी वे खौफ के माहौल में अपना जीवन यापन कर रहे हैं, हालांकि घर के बाहर पुलिस के जवानों को तैनात कर रखा है. परिवार के काई भी सदस्य घर के बाहर निकलता है, तो पुलिस का जवान उनके साथ होता है. कन्हैया के हत्याकांड को मंजर जब भी उनकी आखों के सामने आता है, तो अनायास की आंसू निकल आते हैं. परिवार के सदस्यों को कहना है कि इस एक साल के दौरान सरकार और विभिन्न संगठनों ने उनकी बहुत मदद की है.