विरोधतंत्र' पर भारी पड़ेगा लोकतंत्र!
28 मई 2023 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक गौरवशाली तिथि के रूप में अंकित होने जा रही है। इस दिन भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर के प्रधान पुजारी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बुनियादी सोच के दर्पण के रूप में नए संसद भवन को भारतवासियों को भेंट करेंगे। नए संसद भवन का निर्माण समय और जरूरतों के अनुरूप परिवर्तन लाने का प्रयास है और आने वाली पीढ़ियां इसे देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है। पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी।
भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है। भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है। बावजूद इसके कुछ लोग इसका अपमान करने से बाज नहीं आते।
अब जहां नए संसद भवन के भव्य और दिव्य रूप को देखकर हर भारतवासी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है, वहीं इस ऐतिहासिक दिन को गरिमामयी और गौरवशाली बनाने के बजाय कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। निराशा के अँधेरे में डूबी कांग्रेस को तो इसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का अहंकार दिख गया। दरअसल नकारात्मकता से भरी पार्टियों को हर चीज में नकारात्मकता ही दिखती है।
भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, अपितु वह लोकतंत्र की जननी भी है। लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन के सम्बन्ध में कुछ विपक्षी पार्टियों द्वारा दिया जा रहा दुखद व गैर जिम्मेदाराना बयान इसे कमजोर कर रहा है। लोकतंत्र तो भारत की आत्मा है। वह आम भारतीयों की साँसों और संस्कारों में रचा-बसा है। कोई भी भारतीय इस गौरवशाली क्षण को विवादित बनाने के दुष्प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा। नई संसद भवन दुनिया के लिए आदर्श बनने जा रही है, जिसकी गौरवगाथा सदैव गुंजायमान रहेगी लेकिन कुछ विपक्षी दल इस गौरवगाथा को 'कलंक कथा' बनाने की मंशा रखे हुए हैं। देश इसे कतई स्वीकार नहीं करेगा।
ऐसा नहीं है कि इस तरह के भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री जी द्वारा पहली बार हो रहा है, पूर्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी द्वारा पार्लियामेंट एनेक्सी का उद्घाटन किया गया, संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी द्वारा किया गया। कांग्रेस पार्टी द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का भूमिपूजन राज्यपाल से न करवाकर सांसद श्रीमती सोनिया गांधी जी व तत्कालीन सांसद श्री राहुल गांधी जी से करवाया गया। उस समय छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रहीं एक आदिवासी महिला अनुसुइया उइके जी को बुलाना तो दूर, उन्हें इस कार्यक्रम की सूचना तक नहीं दी गई थी।
खैर, लोकतंत्र के मंदिर के रूप में नया संसद भवन अभी इमारत भर ही है। सांसदों का आचार-विचार-व्यवहार, इस लोकतंत्र के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा। भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए आप सभी सांसदों के प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। मैं सभी दलों के सभी सांसदों से निवेदन करूँगा कि इस गौरवशाली क्षण का साक्षी बनें। इसे धूमिल करने का प्रयास, देश स्वीकार नहीं करेगा।
आइए, राष्ट्र के सम्मान में 28 मई के इस दिवस को ऐतिहासिक बनाने में अपना योगदान दें।
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