गुरुग्राम के कैफे में गूंजती थी हनुमान चालीसा, युवाओं की दिख रही थी बदलती तस्वीर, दुनिया भर के हिंदू कर रहे थे प्रशंसा
अब परेशान है मालिक, डरे आर्टिस्ट, अनजान नंबरों से शिकायत पर आयोजन बंद करवाने पहुंच जाती है पुलिस
सुनिए कैफे के मालिक ने अपनी व्यथा में Opindia को क्या कुछ बताया?
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कहने को तो भारत के संविधान में सबको आजादी है सबको समान अधिकार है लेकिन इस घटना के बाद यह बातें सच नहीं लग रही क्योंकि एक हिंदू युक्ति अपने कैफे भजनों का आयोजन कर सात्विकता फैलाने का प्रयास करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है उसे सुनियोजित षड्यंत्र के तहत इतना परेशान किया जाता है कि जो काम वह कर रहा था वह काम अब हो नहीं रहा।
वहीं दूसरी तरफ विशेष समुदाय दिन में पांच पांच बार देशभर में लाउडस्पीकर पर अपना मजहबी आयोजन करता है लेकिन उन्हें रोकने में हमारे देश का प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है।
एक तरफ जहां अनजान नंबर से फोन आने पर हनुमान चालीसा का आयोजन रुकवाने पुलिस तुरंत प्रभाव से पहुंचती है वहां अनेकों अनेक शिकायतों के बाद भी पुलिस 5 बार बजने वाले भोंपुओ को बंद करवाने के लिए इतनी मुस्तैदी कभी नहीं दिखाती
अब हिंदुओं को भी चाहिए कि वह बार-बार पुलिस से शिकायत करें यदि उन्हें इन लाउडस्पीकर से समस्या हो रही है और सुनिश्चित करें कि पुलिस तुरंत प्रभाव से और लाउडस्पीकर्स को बंद करवाए और उचित कार्यवाही करें। जब तक हिंदू समाज संगठित नहीं होगा, जागेगा नहीं और इस प्रकार की कार्यवाही नहीं करेगा तब तक उसे प्रताड़ित रहना होगा और हो सकता है 1 दिन पलायन भी करना पड़े। सेक्युलरिज्म का पूरा बोझ केवल हिंदुओं के माथे ही क्यों डाला जाए क्यों प्रशासन इसका ढंग से पालन नहीं करता और क्यों अन्य मजहब और पंथ इस पर गौर नहीं करते।