गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 59
आज का पंचांग
शुक्रवार १२/०५/२०२३
ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह 09:06 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक - 12 मई 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - श्रवण दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
⛅योग - शुक्ल दोपहर 12:18 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅राहु काल - सुबह 10:57 से 12:36 तक
⛅सूर्योदय - 06:00
⛅सूर्यास्त - 07:12
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:34 से 05:17 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹 ब्रह्मचर्य-पालन के नियम 🌹
(ब्रह्मलीन ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के प्रवचन से)
ऋषियों का कथन है कि ब्रह्मचर्य ब्रह्म-परमात्मा के दर्शन का द्वार है, उसका पालन करना अत्यंत आवश्यक है । इसलिए यहाँ हम ब्रह्मचर्य-पालन के कुछ सरल नियमों एवं उपायों की चर्चा करेंगेः
1. ब्रह्मचर्य तन से अधिक मन पर आधारित है । इसलिए मन को नियंत्रण में रखो और अपने सामने ऊँचे आदर्श रखो ।
2. आँख और कान मन के मुख्यमंत्री हैं । इसलिए गंदे चित्र व भद्दे दृश्य देखने तथा अभद्र बातें सुनने से सावधानी पूर्वक बचो ।
3. मन को सदैव कुछ-न-कुछ चाहिए । अवकाश में मन प्रायः मलिन हो जाता है । अतः शुभ कर्म करने में तत्पर रहो व भगवन्नाम-जप में लगे रहो ।
4. 'जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन ।' - यह कहावत एकदम सत्य है । गरम मसाले, चटनियाँ, अधिक गरम भोजन तथा मांस, मछली, अंडे, चाय कॉफी, फास्टफूड आदि का सेवन बिल्कुल न करो ।
5. भोजन हल्का व चिकना स्निग्ध हो । रात का खाना सोने से कम-से-कम दो घंटे पहले खाओ ।
6. दूध भी एक प्रकार का भोजन है । भोजन और दूध के बीच में तीन घंटे का अंतर होना चाहिए ।
7. वेश का प्रभाव तन तथा मन दोनों पर पड़ता है । इसलिए सादे, साफ और सूती वस्त्र पहनो । खादी के वस्त्र पहनो तो और भी अच्छा है । सिंथेटिक वस्त्र मत पहनो । खादी, सूती, ऊनी वस्त्रों से जीवनीशक्ति की रक्षा होती है व सिंथेटिक आदि अन्य प्रकार के वस्त्रों से उनका ह्रास होता है ।
8. लँगोटी बाँधना अत्यंत लाभदायक है । सीधे, रीढ़ के सहारे तो कभी न सोओ, हमेशा करवट लेकर ही सोओ । यदि चारपाई पर सोते हो तो वह सख्त होनी चाहिए ।
9. प्रातः जल्दी उठो । प्रभात में कदापि न सोओ । वीर्यपात प्रायः रात के अंतिम प्रहर में होता है ।
10. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, शराब, चरस, अफीम, भाँग आदि सभी मादक (नशीली) चीजें धातु क्षीण करती हैं । इनसे दूर रहो ।
11. लसीली (चिपचिपी) चीजें जैसे – भिंडी, लसौड़े आदि खानी चाहिए । ग्रीष्म ऋतु में ब्राह्मी बूटी का सेवन लाभदायक है । भीगे हुए बेदाने और मिश्री के शरबत के साथ इसबगोल लेना हितकारी है ।
12. कटिस्नान करना चाहिए । ठंडे पानी से भरे पीपे में शरीर का बीच का भाग पेटसहित डालकर तौलिये से पेट को रगड़ना एक आजमायी हुई चिकित्सा है । इस प्रकार 15-20 मिनट बैठना चाहिए । आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक-दो बार ऐसा करो ।
13. प्रतिदिन रात को सोने से ठंडा पानी पेट पर डालना बहुत लाभदायक है ।
14. बदहज्मी व कब्ज से अपने को बचाओ ।
15. सेंट, लवेंडर, परफ्यूम आदि से दूर रहो । इन्द्रियों को भड़काने वाली किताबें न पढ़ो, न ही ऐसी फिल्में और नाटक देखो ।
16. विवाहित हो तो भी अलग बिछौने पर सोओ ।
17. हर रोज प्रातः और सायं व्यायाम, आसन और प्राणायाम करने का नियम रखो ।
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