गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 55
आज का पंचांग
सोमवार ०८/०५/२०२३
ज्येष्ठ कृष्ण तृतीया , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - तृतीया शाम 06:18 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅दिनांक - 08 मई 2023
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - ज्येष्ठ
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 07:10 तक तत्पश्चात मूल
⛅योग - शिव रात्रि 12:10 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅राहु काल - सुबह 07:41 से 09:19 तक
⛅सूर्योदय - 06:03
⛅सूर्यास्त - 07:10
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:36 से 05:19 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी
⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔸संकष्ट चतुर्थी - 08 मई 2023🔸
🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸
🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।
👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।
👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
🔹स्वास्थ्य-रक्षा के सरल प्रयोग🔹
🔹रक्तवृद्धि : बेल के फल को सुखा के उसके गूदे का चूर्ण बना लें । यह चूर्ण और मिश्री दूध में मिलाकर लेने से खून की बढ़ोतरी होती है । गन्ना चूसने से भी खून बढ़ता है । बीट (जो गोल-गोल और लाल होते हैं, जिसकी सब्जी बनती है) की कैंडी बना के रखें । उसका उपयोग करने से भी खून बढ़ता है ।
🔹शीतलता व पुष्टि के लिए : जौ, चावल गेहूँ और चने का सत्तू बना लें और इसमें ठंडा पानी मिलाकर घोल बनायें । मीठा खाना है तो मिश्री डाल दें, नमकीन खाना हो तो नमक डाल दें, जैसी मर्जी हो । थोड़ा घी मिला लें । इसे खाने से शीतलता व पुष्टि की प्राप्ति के साथ ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी ।
🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।
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