भले ही कोई इसे मात्र एक खबर की तरह देखें लेकिन वास्तव में यह अत्यंत ही चिंताजनक विषय है। आखिर क्यों जरूरत है विदेशी फंडिंग की भारत के मदरसों को जबकि भारत में अल्पसंख्यक आयोग हैं और भारत सरकार खुद ही अल्पसंख्यकों के लिए बहुत मोटा फंड आवंटित कर रही है।
अब उत्तर प्रदेश में लगभग 4000 मदरसों में विदेशी फंडिंग होने की बात सामने आई है।
आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर 2022 में जब मदरसों का सर्वेक्षण योगी सरकार द्वारा करवाया गया तब 8441 मदरसे अवैध पाए गए। वैसे तो मदरसों के संचालकों ने आय का प्रमुख स्रोत जकात बताया था (मुसलमानों द्वारा दिया गया दान) । लेकिन अब जांच में सामने आया है कि मदरसों को नेपाल बांग्लादेश यहां तक कि अरब से फंडिंग मिलती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित मदरसों में फंडिंग की गड़बड़ी पाई गई है।
गरीब मुस्लिमों को मुख्य धारा से जोड़ने की बात करते हुए अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पुलिस के साथ मिल कर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि मौलवी बनने से उनका भला नहीं होगा, उन्हें NCERT की किताबें पढ़नी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिमों के बच्चे भी अधिकारी बनेंगे।
बाकी इन मदरसों में क्या पढ़ाया जाता है और क्या-क्या होता है यह तो आप भी एक बड़ा प्रश्न लोगों के दिमाग में बना हुआ ही है।