अब इनकी सोच देखलो और समझ लो , ये सेक्स को गॉड की दी सबसे खूबसूरत चीज कहते हैं , तो ये लोग तप, ब्रह्मचर्य, साधना और मोक्ष जैसी बातों को कहैं से समझेंगे? कोई ७२ हूर चाहता है तो कोई सेक्स यानि व्यभिचार को सबसे खूबसूरत बताता है ...
अब जिनका ध्यान केवल शारीरिक सुख पर है वो आत्मा और आत्मीय सुख को भला क्या समझेंगे और कैसे पहुँचेंगे उस परमात्मा तक जिसे पाने के लिए आत्मा को समझना जरुरी है. फिर जैसे खुद पशुओं की भांति मात्र शारीरिक सुख में लगे हैं वैसे ही सबको लगाएंगे और समाज को पूरी तरह व्यभिचारी बना देंगे जिससे समाज बीमार और कमजोर ही होगा
मास्टरबेशन यानि हस्तमैथुन को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पोप ने कहा है कि खुद को सेक्शुअली यानी यौन रूप से व्यक्त करना एक समृद्धि है। इसलिए जो चीज आपको असल यौन अभिव्यक्ति से दूर करती है। वह इस समृद्धि को कम कर सकती है।
LGBT या थर्ड जेंडर को लेकर बात करते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा है, “कैथोलिक चर्च को ऐसे लोगों का स्वागत करना चाहिए। सभी व्यक्ति ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर किसी को भी अस्वीकार नहीं करता। ईश्वर एक पिता है। मेरे पास किसी को चर्च से निकालने का कोई अधिकार नहीं है।”
उचित है की सभी ईश्वर की संतान हैं लेकिन यदि किसीमें कोई बीमारी आ गयी है तो उसे बढ़ावा नहीं दिया जाता, अपितु उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन जो ईश्वर को नहीं समझते , जो ईश्वर की प्रकृति को नहीं समझते वो सही गलत में फरक कैसे करेंगे