आखिर ये क्या हो रहा है पूरे देश में? क्यों हिंदुओं को उनके त्योंहार मनाने से रोका जा रहा है, वो भी इसलिए क्योंकि मुस्लिम इलाके हैं? क्या भारत अब इलाकों में बांटा जाएगा? और यदि मुस्लिम इलाकों से हिंदू रैली नहीं निकालेंगे तो हिंदू इलाकों से गैर हिंदुओं को भी रैली, जुलूस आदि के लिए रोका जाएगा
आपगंज, ग्वालियर, MP में हिंदुओं को रैली निकालने से प्रशासन ने क्यों रोका?
हनुमान जयंती पर गुरुवार को पंचमुखी हनुमान मंदिर से आपागंज के रास्ते से जुलूस निकालने को लेकर 7 घंटे तनावपूर्ण माहौल में विश्व हिंदू परिसर, बजरंग दल एवं अन्य दो संगठनों और पुलिस अफसरों के बीच कशमकश चलती रही। दोपहर 12 बजे से शुरू हुई यह कशमकश शाम 7 बजे समाप्त हुई। पुलिस ने संगठनों को आपागंज से जुलूस नहीं निकालने दिया। इस दौरान दो एएसपी एवं अन्य अफसरों के नेतृत्व में लगभग 500 का बल और इतना ही बल क्षेत्र के अन्य संवेदनशील इलाकों में तैनात रहा।
अब एक विचारणीय प्रश्न है कि यहां यदि हिंदू नहीं और कोई और होते तो क्या पुलिस उन्हें इतनी देर तक संभाल पाती और क्या वह पुलिस प्रशासन का सम्मान करते हुए 7 घंटे बाद ऐसे वापस लौटते?
दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो हिंदू समाज पुलिस वालों को अपना मानता है प्रशासन का पूरा सहयोग करता है और कभी भी उन पर ना पत्थरबाजी करता है ना आगजनी करता है लेकिन प्रशासन उन्हीं पर अपनी पूरी ताकत की आजमाइश करते हुए उन्हें रैली निकालने से रोक देता है।
आखिर प्रशासन में इतना डर क्यों है हिंदुओं की रैली को लेकर? जबकि सभी जगह देखा जा सकता है कि रैलियों पर पत्थरबाजी कौन करता है! परंतु उन पर कोई कार्यवाही कठोरता पूर्ण नहीं होती बल्कि हर साल हिंदुओं को ही उनके त्यौहार मनाने से रोका जाता है उन्हें रेलिया निकालने से रोका जाता है। आखिर कब तक इस तुष्टीकरण के चक्कर में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाएगा?
ये देश के लिए अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत अब इलाकों में बांटा जा रहा है। अब प्रशासन खुद यह बात मान रहा है कि मुस्लिम इलाकों से यदि हिंदू रैलियां निकालेंगे तो दंगे भड़क सकते हैं। फिर आखिर सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की बातें कैसे की जा सकती है?