गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 38
आज का पंचांग
मंगलवार,२१ /०४/२०२३,
वैसाख शुक्ल प्रतिपदा , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा सुबह 08:28 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक - 21 अप्रैल 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - ग्रीष्म
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - भरणी रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात कृतिका
⛅योग - प्रीति सुबह 11:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान
⛅राहु काल - सुबह 11:03 से 12:39 तक
⛅सूर्योदय - 06:15
⛅सूर्यास्त - 07:03
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:30 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:01 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - देवदामोदर तिथि (असम), चन्द्र दर्शन (शाम 07:03 से रात्रि 08:17 तक)
⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 अक्षय तृतीया - 22 अप्रैल 2023 🌹
🌹अक्षय तृतीया के दिन, तुम किसी भी इच्छा से तुम जप करोगे तो वो जप तुम्हारा 10000 गुना फल देगा । चाहे भगवान् के प्रीती के लिए करो, चाहे भगवान् के ज्ञान के लिए करो, चाहे भगवत रस के लिए करो, चाहे ब्रम्हचर्य पालने के लिए करो, चाहे कुटुंब में सुख शांति के लिए करो । जिसके लिए भी जप करोगे, वो फलेगा अक्षय तृतीया को"
🌹 अक्षय तृतीया - 22 अप्रैल 2023 🌹
( पूरा दिन शुभ मुहूर्त )
👉 इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है । गंगाजी का सुमिरन एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं । स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-
🌹माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।
🌹प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।
👉 सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है ।
👉 इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है । जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है ।
👉 इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं ।
👉इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है । परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए ।
👉इस दिन पितृ तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतानें आती हैं ।
🔹पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि🔹
🌹 इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।
🔹विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।
👉 इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है ।
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