एक राष्ट्रभक्त दलित की कलम से.. नमो बुद्धाय 🙏
✍️ आजकल भारत में मुस्लिम संगठनों के सहयोग से कुछ तथाकथित दलित लोग बौद्ध भंते बनकर दलित बस्तियों में जाकर हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ लोगों को भड़काते हैं।
👉 इतना ही नहीं ये लोग समाज में वर्ग विग्रह पैदा करने के लिए ब्राम्हण और दूसरे लोगों के खिलाफ भी भड़काते हैं और मजे की बात यह है यह लोग स्वयं को बौद्ध भिक्षु यानी भंते कहते हैं।
😳 दरअसल हमने अपने एक दलित मित्र के घर स्वयं एक बौद्ध भंते को जब सुना तब मैं चौक गए इनके मन में कितना जहर फैला हुआ है।
👇हमने उनसे सवाल किया कि भंते जी -
🔶 क्या आपको पता है गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहां दिया था ?
👉 तब उन्होंने बता दिया कि बनारस के पास सारनाथ में दिया था
🔶 हमारा अगला सवाल था - गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश किन्हे दिया था ?
🤷♂️ तब वह भंते चुप हो गए उनके पास या तो इसका कोई जवाब नहीं था या वह दलित लोगों के सामने सच्चाई बताना नहीं चाहते था। 😊
✍️ सच्चाई यह है कि गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश पांच ब्राह्मण सन्यासियों को दिया था।
🔶 फिर हमारा अगला सवाल था क्या आपको पता है सारनाथ जो किसी जमाने में बहुत ही सुन्दर था जहां कई मंदिर थे वहां कई स्तूप थे, वहां पर बौद्ध सन्यासियों के लिए पूजा करने और आराधना और ध्यान करने के लिए विशाल मेडिटेशन सेंटर बना था उसे किसने नष्ट किया था ?🤔
🤷♂️ भंते फिर चुप हो गए शायद वह या तो सच्चाई नहीं बताना चाहते थे या फिर उन्हें जानकारी नहीं होगी।
👉 लेकिन यदि कोई बौद्ध भंते बनता है तो जाहिर सी बात है कि उसे बौद्ध धर्म के बारे में पूरी जानकारी होती है उसके बाद ही बनता है
😡 लेकिन यह आजकल के भारत के जो नवबौद्ध बनते हैं वह कभी भी दलितों को सच्चाई नहीं बताते । वह सिर्फ समाज में वर्ग विग्रह जातिगत विग्रह फैलाते हैं।
👉 सच्चाई यह है कि सारनाथ को मोहम्मद गोरी ने नष्ट किया, खुद मोहम्मद गौरी और उसकी सेनाओं ने करीब 15 दिनों तक सारनाथ को तहस-नहस किया था उसे यह उम्मीद थी कि इन मंदिरों और इन स्तूप के नीचे बहुत सारा धन गड़ा होगा। 😊
🤨 लेकिन आजकल के तथाकथित नवबोध चाहे वह प्रकाश आंबेडकर हो चाहे वह मायावती हो चाहे वह चंद्रशेखर रावण हो चाहे गांव का घूमने वाले बौद्ध भंते हो 👉 यह अपने लोगों को यह कभी नहीं बताते सारनाथ को एक मुस्लिम आतताई मोहम्मद गोरी ने नष्ट कर दिया था।
👉 नालंदा विश्वविद्यालय जो अपने जमाने में शिक्षा का विश्व का सबसे बड़ा केंद्र था जहां बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था जो बौद्ध स्टडीज का सबसे बड़ा केंद्र था जहां बौद्ध दर्शन और बौद्ध साहित्य से जुड़ी हुई करोड़ों किताबें रखी थी, जिस विश्वविद्यालय के भव्यता और लाइब्रेरी का वर्णन बौद्ध यात्री ह्वेनसांग और फाह्यान ने अपने किताबों में किया है उस नालंदा विश्वविद्यालय को अलाउद्दीन खिलजी ने जलाकर नष्ट कर दिया और कहते हैं कि उसकी लाइब्रेरी इतनी बड़ी थी पूरे 6 महीने तक नालंदा विश्वविद्यालय की किताबें जलती रही। 🤔
😳 अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि कागज जो इतना जल्दी जलता है यदि 6 महीने तक जला होगा तब कितनी किताबें रही होंगी !
😡 लेकिन यह आजकल के नवबौद्ध भंते दलितों की बस्ती में हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ बोलेंगे, ब्राह्मणों के खिलाफ बोलेंगे, क्षत्रियों के खिलाफ बोलेंगे और बौद्ध कथा के नाम पर जातिगत विद्वेष बोलेंगे।
🤨 लेकिन यह लोगो को कभी नहीं बताएंगे कि भारत के बौद्ध गौरव को किसने नष्ट किया ?
✍️ आप इतिहास की बात छोड़ दीजिए 90 के दशक में तालिबान ने अफगानिस्तान में दो विशाल पहाड़ को काटकर बनाई गई गौतम बुद्ध की सैकड़ों मीटर ऊंची विशाल प्रतिमाओं को तोप से उड़ा दिया, तालिबान का कहना था इस्लामिक देश में बुत परस्ती हराम है किसी भी इस्लामिक देश में कोई भी मूर्ति नहीं रहनी चाहिए।
🤷♂️ और आश्चर्य इस बात का की 2008 में जाकिर नायक ने मुंबई के सुमैया कॉलेज के ग्राउंड में सभा करते हुए एक सवाल के जवाब में तालिबान द्वारा गौतम बुद्ध की दो विशाल प्रतिमाओं को तोड़े जाने का समर्थन किया था और कहा था इस्लाम में बुत परस्ती हराम है इसलिए तालिबान ने गौतम बुद्ध की मूर्तियों को तोड़कर अच्छा किया क्यों कि हम अपने कुरान के हिसाब से चलते हैं हम और हमारे कुरान में बुत परस्ती हराम है बुत के सामने से गुजरना हराम है।
दलित मित्रों 🙏 याद रखना उनकी किताब में बुत परस्ती हराम है बूत यानी मूर्ति और वह मूर्ति चाहे भगवान की मूर्ति हो या बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हो,
📗 उनकी किताबों में वह हर कोई शख्स काफिर है जो उनके मजहब का नहीं है
👉 उनकी किताबों में यह नहीं लिखा है कि ब्राह्मण काफिर है या क्षत्रिय काफिर है और दलित काफिर नहीं है।

