गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की माँग को लेकर उज्जैन से खाटूश्याम जी की दण्डवती यात्रा ( लेटकर की जाने वाली यात्रा ) कर रहा है इस देश का 20वर्षीय युवा ऋषभ दास ठाकुर । ऋषभ वृंदावन का रहनेवाला है तथा अबतक चार धाम , शक्ति पीठ , खाटू श्याम आदि की पैदल यात्राएँ कर चुका है ।
ऋषभ से मेरी मुलाकात गुड़ी पड़वा के दिन अचानक हिन्दू जागरण की एक रैली को सम्बोधित करने के लिये उज्जैन से उन्हेल जाते समय रोड़ पर हुई । जैसे ही मैंने एक युवा को रोड़ पर लेटकर चलते हुए देखा तो तुरन्त अपनी गाड़ी को रुकवाया और सहज वार्ता की । ऋषभ का गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का पवित्र संकल्प हृदय को गदगद करने वाला था । इस पवित्र संकल्प की जीतनी प्रशंसा की जय वह कम है ।ऋषभ नशे की गर्त में जाते हुए तथा पश्चिमी संस्कृति की ओर अन्धी दौड़ लगाने वाले इस देश के युवाओं के लिए निश्चित ही प्रेरणा दायक है ।
आज भारत का एक ज्वलन्त प्रश्न यह है कि , आखिर ऐसा क्या कारण है कि आजादी के 75 वर्ष वाद भी हम न तो गौ मांस ( बीफ ) के निर्यात पर और न ही गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा पाए हैं ?
साभार:
- क्रांतिकारी सन्त डॉ अवधेशपुरी महाराज
पीठाधीश्वर - स्वस्तिक पीठ , उज्जैन , मध्यप्रदेश ।

