जय सत्य सनातन
हमारे पास विश्व का अनमोल , व सबसे समृद्ध खजाना है
हमारे वेद, स्मृतिया , उपनिषद , पुराण , भागवत, श्रीरामायण , श्रीमदभागवतगीता आदि
जिससे विश्व को हमने राह दिखाई है
अत्यंत खेद होता है जब एक मुल्ला अपने लौंडो को अरबी पढना इसलिये सिखाता है ताकि वह कुरान पढ सके, लेकिन हिंदू?
विश्व कि समृध्दतम भाषा संस्कृत देवनागरी लिपि मे लिखी जाती है सामान्य बोलचाल कि संस्कृत केवल दो तीन महीने मे सिखी जा सकती है जिससे संस्कृत के श्लोकों का अर्थ पता चल सके .
लेकिन नही, हिंदु इस बारे मे उदासीन है और इस नीकारापन के कारण
फर्जी और ढोंगी बाबाऔ कि जमात पैदा हो गई है जो सनातन आस्थाऔ को जम कर ठेस पहुचा रही है
अपने इसी निकारापन कि वजह से कुछ लोग एक धुर्त मांस खाने वाला, मस्जिद मे रहने वाला पांखडी , ढोंगी को भगवान कि उपाधि देकर मंदिरो मे उसे श्रीराम , श्रीकृष्ण के समान दर्जा देते है
असल मे अब्राहमीक महजब इस बारे मे सावधान है सुबह से शाम तक पांच नमाजो कि अजान देने वक्त मौलवी यह बताता है कि मुहम्मद ही आखिरी रसूल है
और
ईसाई को यह सिखाया जाता है कि जीसस ही आखिरी मैसेन्जर है
हम सनातनी़यो को यह गीता मे बताया है कि कल्कि अवतार सृष्टि के विनाश और पुर्ननिमार्ण के लिए होगा ..उसके अलावा कोइ अवतार नही होगा ।।
पर हमारी सबसे बडी दिक्कत यह है कि हम गीता रामायण नही पढते , और कथावाचको के पंडाल मे जाते है मोरारी जैसे फर्जी कथावाचक उसमे विक्षेप पैदा कर देते है और भम्र मे डाल देते
है
अत: सभी महानुभाव से निवेदन है कि संस्कृत कि शिक्षा ग्रहण करो और अपनी संतति को भी संस्कृत का अध्ययन करवाए
गीता सार है कि
जो जैसे कर्म करेंगा उस को वैसा ही फल मिलेगा
चाहे अभी मिले या भविष्य मे मिले ..
आजकल ये देखा और अनुभव किया है कि
जब तक जातक के जीवन मे कोइ संकट
नही आता वो परमात्मा को नही मानता.
जब संकट आता है तो कुंडली दोष, पितृ दोष, अज्ञात ॠण , पितृ ॠण, मातृ ॠण, देव ॠण , गुरुॠण आदि याद आते है।
पर स्वयं के दोष कभी नजर नही आते कि मैने एक गैर सनातनी को श्रीराम , श्रीकृष्ण के बराबर मे बैठे देखकर विरोध क्यो नही किया
जय श्रीराम