माफिया अतीक अहमद के मारे जाने के बाद कुछ लोग उसे पीड़ित मुस्लिम बताकर उसके द्वारा किए गए जघन्य अपराधों पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं जबकि अधिकतर चर्चित मामलों में पीड़ित भी खुद मुस्लिम ही होते थे। ऐसा ही एक मामला है "मदरसा रेप कांड" जो 2007 का है।
जो लोग आतंक का कोई मजहब नहीं होता कहते नहीं थकते वह आज एक दुष्ट माफिया अतीक अहमद का यह कहकर समर्थन कर रहे हैं कि वह एक मुस्लिम है... और सभी जानते हैं की हर बार आतंकियों के जनाजे में भीड़ किसकी होती है...आतंक का मजहब अब सबको साफ साफ दिख रहा है..बस बोलने की हिम्मत जुटानी है।
प्रयागराज का वह मदरसा कांड जब मदरसे की लड़कियों का रात भर बलात्कार कर उन्हें लहूलुहान हालत में सुबह मदरसे के गेट पर फेंक दिया गया।
17 जनवरी 2007 को गैंगरेप की वारदात हुई जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया लेकिन उस समय राज मुलायम सिंह का था और अपराधियों को सजा नहीं मिली अभी दो कुछ निरपराध लोगों को मोहरा बनाया गया।
इस घटना में बंदूकधारी हैवानों ने देर रात मदरसे में घुसकर दो लड़कियों को उठाया और जंगल में ले जाकर 5 शैतानों द्वारा उन दो नाबालिग बच्चियों का सामूहिक बलात्कार किया गया और सुबह गैंगरेप पीड़िताओं को लहूलुहान हालत में मदरसे गेट पर फेंक दिया गया अतीक अहमद के भाई अशरफ पर भी रेप के आरोप लगे थे अतीक अहमद उस वक्त सांसद था और आश्रम विधायक हुआ करता था। जिस मदरसे में यह कांड हुआ उसका संचालक भी आतंकी बलीउल्ला का भाई ही था।
क्या था मदरसा कांड।👇👇👇 साभार - opindia
क्या था मदरसा रेप कांड
यह मामला 17 जनवरी 2007 का था। प्रयागराज में अतीक अहमद के प्रभुत्व वाले इलाके करेली में एक मदरसा चला करता था। इस मदरसे का संचालक वाराणसी संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट में फाँसी की सजा पाए आतंकी वलीउल्लाह का भाई था। देर रात इस मदरसे के दरवाजे पर दस्तक हुई और दबंगई से गेट खोलने के लिए कहा गया। अंदर 3 बंदूकधारी घुसे और सीधे वहाँ पहुँचे जहाँ लड़कियाँ सोती थीं। लड़कियों के नकाब हटवाए। यहाँ से 2 लड़कियाँ चुनी गईं और उन्हें उठाकर जंगल ले जाया गया।
आरोप है कि जंगल में 5 लोगों ने दोनों लड़कियों से रेप किया। सुबह लड़कियों को लहूलुहान हालत में मदरसे के गेट पर फ़ेंक दिया गया। तब पुलिस ने प्रयागराज में ही रिक्शा चलाने वाले और दर्जी का काम करने वाले इखलाख अहमद और नौशाद अहमद सहित कुल 5 लोगों की गिरफ्तारी दिखा दी थी। जमानत पाने के बाद पाँचों ने पुलिस पर खुद को बेवजह फँसाने का आरोप लगाया था। इस घटना में अशरफ और उसके साथियों के शामिल होने की बात कही जाती रही।
मुलायम सरकार में यह घटना हुई थी। उसके बाद मायावती की सरकार आई। मामले की सीबीसीआईडी जाँच भी हुई। लेकिन नतीजा सिफर रहा। अपने पहले कार्यकाल में दिसंबर 2021 में योगी सरकार ने इस मामले की फिर से जाँच करवाने के आदेश दिए थे। इस घटना से उठी नाराजगी के बाद अतीक और उसका परिवार दुबारा कभी चुनाव नहीं जीत पाया। स्थानीय मुस्लिमों में भी एक बड़ा धड़ा अतीक अहमद के खिलाफ हो गया था।
एक मीडिया रिपोर्ट में रिटायर्ड इंस्पेक्टर नारायण सिंह परिहार के हवाले से भी इस कांड के बारे में बताया गया है। उन्होंने बताया है कि 2007 में अतीक के भाई अशरफ ने मदरसे से लड़कियों को उठवाया और फिर उनके साथ घिनौनी हरकत की। मामला कोर्ट में गया। गवाही भी हुई। लेकिन बाद में गवाह पलट गए। रिटायर्ड इंस्पेक्टर के अनुसार अतीक अहमद और उसके गुर्गे पीड़िताओं के परिजनों को धमकी देते थे। इसके कारण बाद में गवाह पलट गए और केस नहीं बन पाया। उन्होंने यह भी बताया कि जाँच के दौरान उनको भी धमकियाँ दी गई थी।