. #शुभ_रात्रि
मनुष्य के सर्वागीण विकास में उसके आचरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अच्छा आचरण उसे परिवार व समाज में विशेष स्थान दिलाता है। सदाचारी व्यक्ति का सभी आदर करते हैं तथा वह सभी के लिए प्रिय होता है। सदाचरण के बिना किसी भी समाज में मनुष्य प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर सकता।
सदाचारी होने के लिए यह आवश्यक है कि वह दुर्गुणों से बचे तथा सद्गुणों को अपनाए। हमें सदैव सत्यवादी होना चाहिए। सभी मनुष्यों में एक-दूसरे के प्रति ईष्र्या व घृणा का भाव नहीं होना चाहिए। मनुष्य का दूसरों के प्रति घृणा व ईष्र्या का भाव, दूसरे के प्रति अलगाव उत्पन्न करता है, परंतु सदाचरण से दूसरों के हृदय में विशेष स्थान पाया जा सकता है। सदाचरण से परस्पर प्रेम व आदर-भाव बढ़ता है। मनुष्य को दूसरों के प्रति कभी भी इस प्रकार का व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिसे वह स्वयं के लिए पसंद नहीं करता हो। उसे दूसरों के प्रति नम्रता का व्यवहार रखना चाहिए। नम्र व्यवहार रखने के लिए किसी प्रकार की धन की आवश्यकता नहीं होती, परंतु यह सत्य है कि नम्रता के दोबारा दूसरों के हृदय पर स्थायी प्रभाव डाला जा सकता है।
सदाचारी व्यक्ति किसी भी कमजोर व वृद्ध की उपेक्षा नहीं करता है। वह यथासंभव उनकी मदद करता है। अपने से कमजोर व्यक्ति को वह यथोचित रूप में सहयोग कर उसे सामर्थ्यवान देखना चाहता है। वृद्ध के प्रति वह सदैव आदर-भाव रखता है तथा उनकी आवश्यकताओं के प्रति जागरूक रहता है। छात्रों के लिए सदाचरण से तात्पर्य है कि वे अपने माता-पिता व गुरुजी का आदर करें तथा उनकी आज्ञा का पालन करें। अपने से कमजोर छात्रों तथा दीन-दुखियों की मदद करें। परस्पर ईष्र्या-भाव को त्याग कर मेलजोल से रहें। यदि कोई उनकी किसी प्रकार से सहायता करता है तो उसके प्रति धन्यवाद का भाव रखें। इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि मित्रों, संबंधियों व अन्य व्यक्तियों से बातचीत करते समय हमारी भाषा स्पष्ट, शुद्ध व मधुर हो, ताकि दूसरों को वह अप्रिय न लगे। वाणी की तीव्रता इतनी हो कि सामने वाला व्यक्ति आपकी बात को स्पष्ट रूप से सुन सके।
यदि कोई हमारे प्रति कटु शब्द का प्रयोग करता है तो ऐसी परिस्थिति में भी हमें अपना आपा नहीं खोना चाहिए। मधुरता, प्यार, सहयोग व अपनेपन के दोबारा कठोर से कठोर हृदय पर भी विजय पाई जा सकती है। सदाचारी व्यक्ति सदैव दूसरों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करता है। सभी परिस्थितियों में वह अपने सभी कर्तव्यों का निर्वाह करने का यथासंभव प्रयास करता है। वह ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था रखता है तथा स्वयं के लिए, अपने परिवारजनों व समस्त मानव जाति के कल्याण व उत्थान के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। जीवनपर्यत सदाचरण में रहने वाला व्यक्ति जहां भी जाता है अपना एक अमिट प्रभाव छोड़ जाता है। वह सभी के लिए प्रिय एवं सम्मान का पात्र होता है। सदाचारी व्यक्ति अपने अच्छे आचरण से स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माता-पिता, वंश व राष्ट्र का नाम ऊंचा करता है।
. 🚩जय सियाराम 🚩
. 🚩जय हनुमान 🚩