मंत्र जागृत करना क्या है?
मन्त्रजागृति संस्कार।मन्त्र के दस संस्कार बताये गये हैं
१. जनन
२. जीवन
३. ताड़न
४. बोधन
५. अभिषेक
६. विमलीकरण
७. आप्पायन
८. तर्पण
९. दीपन
१०. गुप्तिसंस्कार।
१ जनन संस्कार के लिये मातृका यंत्र बनायें। यह यन्त्र स्वर्णादि पात्र में कुंकुम चन्दन या भस्म से अंकित करना चाहिये। शक्ति मन्त्र के संस्कार में कुंकम से, विष्णु मन्त्र में चन्दन से और शिव मन्त्र में भस्म से लिखें। इस मातृका से मन्त्र वर्णों का पर्याय क्रम से उद्धार करना जनन है।
२ जीवन उद्धृत सभी मन्त्र वर्णों को पंक्तिक्रम से प्रवण ॐ द्वारा एक-एक वर्ण का सौ बार जप करना जीवन है विश्वसार तन्त्र के अनुसार प्रत्येक मन्त्रवर्ण का सौ या दस बार जप करना चाहियें।
3 ताड़न मन्त्र के सभी वर्गों को अलग-अलग लिखकर यं मन्त्र का उच्चारण करते हुये चंदन जल से जल से प्रत्येक को सौ बार या दस बार ताड़ित करें यही ताड़न है।
४ बोधन मन्त्र की वर्ण संख्या के अनुसार कुसुमों से 'रे' मन्त्र का उच्चारण करते हुये उसे हनन करना बोधन कहलाता है।
५ अभिषेक सभी मन्त्र वर्णों को लिखकर वर्ण संख्यक रक्त करवीर पुष्पों द्वारा रं मन्त्र से एक एक बार सभी वर्णों को अभिमन्त्रित कर अश्वत्थ या पीपल के पत्ते द्वारा तन्त्र मन्त्रोक्त विधान से सभी मन्त्रवर्णों का सिंचन करें यही अभिषेक है।
६ विमलीकरण सुषुम्ना के मूल और मध्य भाग में देव मन्त्र का चिंतन कर ज्योर्तिमन्त्र 'ॐ ह्रौं' से मलत्रय को दग्ध करना चाहिये। यही विमलीकरण है।
7 आपप्पायन मन्त्र के सभी वर्णों को कुशोदय या पुष्पोदक द्वारा ज्योतिमंन्त्र से आप्यायित करने का नाम आप्पायन कहते है।
८ तर्पण इसी ज्योर्तिमन्त्र द्वारा मन्त्र की वर्ण संख्यानुसार जल से तर्पण करना मन्त्र तर्पण कहलाता है। शक्तिमन्त्र में मधु से,विष्णुमन्त्र में कर्पूर मिश्रित मिश्रित जल से और शिव मन्त्र में भी दूध से तर्पण किया जाता है।शिव मन्त्र में भी दूध से तर्पण किया जाता है।
९. दीपन ॐ ह्रीं और श्रीं इन तीनों मन्त्रों द्वारा देय मन्त्र को १०८ बार जप करने से दीपन होता है।
१० गुप्तिसंस्कार अप्रकट रखने से गुप्ति संस्कार होता है। - मन्त्र के इन दस संस्कारों के करने के बाद मन्त्रग्रहण करने से अभीष्ट फल देवता है।