मुस्लिम माफिया अतीक अहमद और उसके भाई असरफ अहमद के मरने के बाद से कुछ लोग इस हैवान की मृत्यु पर आंसू बहा रहे हैं, कुछ उसे अमर शहीद बता रहे हैं तो कुछ उसके दुख में मोदी - योगी मुर्दाबाद और कुछ तो हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। आइए समझते हैं की आखिर ये लोग हैं कौन?
अतीक अहमद के संबंध इस्लामिक आतंकी संगठन ISI से थे ऐसा उसने खुद कुबूल किया ऐसी जानकारी सभिको है, अति के मानवता विरोधी, संविधान विरोधी कारनामों की जानकारी भी सबके सामने हैं फिर भी कुछ लोग उसके समर्थन में हैं और अब "इस्लामिक आतंकी संगठन अलकायदा" ने ईद के मौके पर एक मैगजीन के हवाले से भारत को इन दोनो आतंकियों अतीक और असरफ की मौत का बदला लेने की धमकी दी है
माफिया और पूर्व सांसद #AtiqueAhmed और उनके भाई #AshrafAhmed की मौत पर आतंकी संगठन #AlQaeda ने बदला लेने की धमकी दी है।
#Eid के मौके पर आतंकी संगठन ने सात पन्नों की एक मैग्जीन जारी की है। अपने ईद संदेश में आतंकी समूह ने भारत से बदला लेने की धमकी दी है। इसके अलावा उसने अतीक और उनके भाई अशरफ को 'शहीद' बताया। अल कायदा ने अपने सात पन्नों की मैग्जीन में मुस्लिमों को 'आजाद' कराने की बाद कही है।
अब आप खुद थोड़ा सा दिमाग दौड़ाएंगे तो समझ जाएंगे की बंगाल में मुसलमानों ने अतीक के लिए कैंडल मार्च निकाला, बिहार में मुसलमानों ने शहीद अतीक अहमद अमर रहे और योगी - मोदी मुर्दाबाद के नारे लगे तथा सोशल मीडिया पर भी कथित बुद्धिजीवियों समेत कुछ मुसलमानों ने अतीक के लिए रूदन किया वो किस की भाषा बोल रह हैं?
लोगों के मन में प्रश्न तो उठेगा ही की क्या भारत में अलकायदा के लोग सक्रिय हैं? क्या सरकार और प्रशासन को इनकी जांच कर उचित कार्यवाही नहीं करनी चाहिए? ये अत्यंत गंभीर समस्या है की भारत के मुस्लिम अलकायदा की भागा बोल रहे हैं लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही.
यदि आतंकी भी नहीं तो भी अतीक एक अपराधी था वो भी छोटा मोटा अपराधी नहीं फिर इसका समर्थन केवल मुस्लिम होने के नाम।पर करना क्या दर्शाता है? क्या मजहब अनुमति देता है अतीक जैसे माफियाओं को? क्या समर्थन करने वाले मजहब के अनुरूप कार्यरत है?
वैसे बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था की "मुसलमानों की निष्ठा वतन के प्रति नहीं कुरान के प्रति होती है"