पौराणिक कथा :पाप का बाप कौन है?
एक बार एक विद्वान व्यक्ति अपनी सारी शिक्षा संपन्न करके घर आया और उसकी शादी करा दी गई तो उसकी पत्नी ने उससे एक प्रश्न पूछा कि बताओ कि पाप का बाप कौन है तो पति यानी विद्वान व्यक्ति यह सुनकर हैरानी में पड़ गया।
कहने लगा पाप को तो जानता हूं मैंने अपने सारे अध्ययन में पाप के बारे में तो पढ़ा है पर ये पाप का बाप कौन है यह नहीं जाना, पाप के बाप को जानने के लिए विद्वान व्यक्ति अपने गुरु जी से मिलने चल दिए चलते चलते रास्ते में एक वेश्या का घर आया उस वेश्या ने यूं ही कहा राम राम जी कहां जा रहे हैं आप।
विद्वान व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं एक प्रश्न का उत्तर खोजने अपने गुरु के पास जा रहा हूं ।
वेश्या ने पूछा- प्रश्न क्या है?
विद्वान व्यक्ति ने कहा मेरा प्रश्न है "पाप का बाप कौन है?"
ये सुनते ही वैश्या बोली इस प्रश्न का जवाव तो मै ही आपको बता सकती हूँ ,
विद्वान व्यक्ति ने सोचा ये तो और भी अच्छा है यहीं पता चल जायेगा तो बताओ कौन है पाप का बाप ?
वेश्या बोली बता तो दूंगी लेकिन आपको मेरे यहाँ भोजन करना पड़ेगा।
ये सुनकर विद्वान व्यक्ति कहने लगे नहीं नहीं, रहने दो मैं अपने गुरुजी से ही पूछ लूँगा ।
तब वेश्या ने एक सौ का नोट उस व्यक्ति को दिया तो उस विद्वान व्यक्ति के मन में लोभ आ गया और वह खाना खाने के लिए तैयार हो गया।
फिर जब वेश्या खाना बना कर लाई तो उसने कहा कि अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं आपको अपने हाथों से ही खाना खिला दूं?
विद्वान व्यक्ति ने फिर ऐतराज जताया तो फिर से वेश्या ने उसे सौ का नोट दे दिया अब वह व्यक्ति उसके हाथ से खाना खाने को तैयार हो गया जैसे ही वेश्या ने भोजन का एक निवाला विद्वान के मुख की तरफ बढ़ाया और जैसे ही उसने मुंह खोला तो वेश्या ने उसके गाल पर जोरदार एक थप्पड़ जड़ दिया और कहा कि यही है पाप का बाप और कहा कि तुम लोभ के कारण अपनी मर्यादा भूल गए लेकिन मैं अपनी मर्यादा को बखूबी जानती हूं।
जब भी कोई सम्मानीय या सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति लोभ के कारण नीच की संगति करता है वही पाप है और पाप का बाप लोभ है।
लोभ ही सब पापों का कारण बनता है अत: हमें लोभ से बचना चाहिए।
#प्रियन पांडेय