गली-गली इस्लाम का परचम है इसका मकसद
- पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि गजवा-ए-हिंद हदीस का हिस्सा है। गली-गली में इस्लाम का परचम इसका मुख्य मकसद है।
- कुछ लोगों का मानना है कि जब तक भारत में इस्लाम का परचम फहराया नहीं जाता, इस्लाम संपूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता। हमारा पड़ोसी मुल्क बताता है कि नबी साहब कहकर गए हैं कि यह तो होकर रहेगा।
- इसके साथ ही गाजी का मतलब होता है जो लड़ते-लड़ते नॉन बिलीवर, यानी उसके धर्म को न मानने वाले को मार देता है उसे गाजी का दर्जा मिलता है।
- गजवा-ए-हिंद का मतलब साफ है कि जब तक पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम नहीं फहरेगा, तब तक इस्लाम अधूरा है। इस्लाम का मानना है कि तकरीबन पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम फहरा दिया गया है, लेकिन 700-800 सालों से भारत में इस्लाम का परचम नहीं फहराया जा सका है।
- जब तक भारत की गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में इस्लामिक कानून नाफिस नहीं हो जाता, इस्लाम के मानने वालों की सरकार नहीं बन जाती, तब तक गजवा-ए-हिंद का सपना पूरा नहीं होगा।
धर्म के नाम पर मौलवियों का एक पूरा नेटवर्क खड़ा किया गया
- अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे और हडसन इंस्टीट्यूट के ‘इस्लाम और लोकतंत्र’ प्रोजेक्ट के मुखिया रहे हुसैन हक्कानी अपने एक लेख में लिखते हैं कि हदीसों का सहारा लेकर मुस्लिम नौजवानों को जिहादी आतंकवाद के लिए उकसाने की प्रवृत्ति अफगान-सोवियत युद्ध के दौरान शुरू हुई।
- अफगान-सोवियत युद्ध के खत्म होने के बाद तमाम जिहादी गुटों ने मध्य और दक्षिण एशिया में अपनी गतिविधियां शुरू कीं। 1989-90 के इस दौर में कश्मीर में आतंकवाद ने अपने पांव पसारे और ‘गजवा-ए-हिंद’ नाम से इस दुष्प्रचार की शुरुआत हुई कि कश्मीर में जिहाद दीन का आदेश है और इसमें शहीद होने वाले को जन्नत नवाजी जाएगी।
- धर्म के नाम पर मौलवियों का एक पूरा नेटवर्क खड़ा किया गया, जिसने जिहाद के शहीद को जन्नत में 72 हूरें मिलने जैसी बातें भी जोड़ीं। लश्कर-ए-तैयबा तो उस समय गजवा-ए-हिंद की व्याख्या कश्मीर से भारत की आजादी के तौर पर करता था और इसे दीन का हुकुम बताता था।
- पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर जैद हामिद जैसे पत्रकार पाकिस्तानी मीडिया में गजवा-ए-हिंद के तौर पर मशहूर रवायतों की आधुनिक व्याख्या हिंदू भारत और मुस्लिम पाकिस्तान के बीच युद्ध के तौर पर बताते थे।
- वे कहते थे कि पाकिस्तान बना ही दुनिया में इस्लामिक मुखालफत कायम करने के लिए है। मसूद अजहर जैसे आतंकी भी ऐसी रवायतों की मनगढ़ंत व्याख्या करते हैं।
गजवा-ए-हिंद मामले में NIA की कार्रवाई की वजह क्या है?
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने 23 मार्च 2023 को गजवा-ए-हिंद से जुड़े कुल 7 ठिकानों पर छापेमारी की है। गजवा-ए-हिंद से जुड़े लोगों और संस्थाओं पर सोशल मीडिया के जरिए देश में युवाओं के बीच कट्टरपंथ को फैलाने का आरोप है।
NIA ने बिहार के फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में 22 जुलाई 2022 को गजवा-ए-हिंद से जुड़ा मामला दर्ज किया था। इस केस को लेकर NIA ने कहा था कि मरगुब अहमद दानिश नाम का एक कट्टरपंथी शख्स व्हाट्सएप ग्रुप गजवा-ए-हिंद के जरिए कई विदेशी संस्थाओं के संपर्क में था।
इतना ही नहीं अपने मकसद को अंजाम देने के लिए उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया था। वह इस ग्रुप में हिंसा के माध्यम से भारत पर विजय की बात कर रहा था। इस केस में 6 जनवरी को NIA ने एक आरोप पत्र भी दायर किया था। अब इस कार्रवाई को उसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।