हालाँकि भारत आने से पहले वह पूर्वी यूरोपीय देश जॉर्जिया गया था। वहाँ ISI के इशारे पर उसे भारत में आतंक फैलाने के लिए वकायदा ट्रेनिंग दी गई थी। इस ट्रेनिंग में उसे हथियार चलाने से लेकर भारत का माहौल खराब करने के लिए पूरी तरह से तैयार किया गया था। यही कारण है कि अमृतपाल सिंह के भारत आने के बाद से पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियाँ जोर पकड़ रहीं थीं। भारत में खालिस्तानी गतिविधियों के बढ़ने से कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमलों की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी हो गई थी।
इसके अलावा, अमृतपाल सिंह के खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू तथा उसके संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से भी संबंध हैं। वह एसएफजे के सोशल मीडिया कैंपेन का भी हिस्सा रह चुका है। बता दें कि पन्नू को भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी घोषित किया है।
मानव बम बनाने के लिए कर रहा था ब्रेनवॉश
यह भी सामने आया है कि वह आईएसआई के इशारे पर ‘खड़कु’ या मानव बम बनने के लिए युवाओं का ब्रेनवॉश कर कर रहा था। यही नहीं, अमृतपाल सिंह अपने संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ द्वारा चलाए जा रहे नशा मुक्ति केंद्र या ड्रग रिहैब सेंटर के सहारे युवाओं को ‘बंदूक संस्कृति’ की ओर धकेलने की कोशिश में लगा हुआ था। वह नशा मुक्ति केंद्रों तथा गुरुद्वारों का उपयोग हथियारों का जखीरा इकट्ठा करने के लिए भी करता था।
साथ ही वह ISI की सहायता से भारत में ड्रग तस्करी के काम में भी लगा हुआ था। वास्तव में, सितंबर 2022 में अमृतपाल के भारत आने के बाद से सीमा पार से ड्रोन के सहारे ड्रग्स और हथियार गिराने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में सामने आया है कि अमृतपाल सिंह की मंशा युवाओं को भड़काकर खालिस्तानी आतंकी दिलावर सिंह की तरह आत्मघाती हमलों के लिए तैयार करना था। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के म्यूजियम में भी आतंकी दिलावर सिंह की फोटो लगाई गई थी। यह फोटो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने लगाई थी। दिलावर सिंह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हत्यारा है।
उसने मानव बम बनकर 31 अगस्त, 1995 को बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमृतपाल सिंह मारे गए आतंकवादियों को याद करने के लिए आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों ‘शहीदी समागम’ में शामिल होता था। जहाँ वह लोगों को हथियार इस्तेमाल करने की बात कहता था।
खुद की फौज बना रहा था अमृतपाल सिंह…
खुफिया एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया है कि अमृतपाल सिंह ‘आनंदपुर खालसा फौज’ के नाम से अपनी ‘प्राइवेट आर्मी’ बनाने में जुटा हुआ था। पुलिस ने अब तक जो बुलेटप्रूफ जैकेट और राइफल बरामद की गई हैं उनमें और अमृतपाल सिंह के घर के दरवाजे पर एकेएफ (AKF) लिखा हुआ था। इसका मतलब भी ‘आनंदपुर खालसा फौज’ ही है। इस फौज के सहारे अमृतपाल और आईएसआई के इशारे पर नाच रहे उसके खालिस्तानी समर्थक दिल्ली में हमले की साजिश रच रहे थे। जाँच एजंसियों से इनपुट मिलने के बाद ही पुलिस ने आतंक फैलाने की तैयारी कर रहे अमृतपाल और उसके खालिस्तानी साथियों पर शिकंजा कसा है।