धर्म छोड़ मजहब का दामन थाम लिया लेकिन आरक्षण नहीं छोड़ा! आखिर ऐसे लोगों का आरक्षण क्यों रद्द नहीं किया जाना चाहिए?
देश में धर्मपरिवर्तन कर चुके लोगों को मिल रहे आरक्षण का विरोध अब जोर पकड़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक संगोष्ठी के बाद विश्व हिंदू परिषद की तरफ से कहा गया है कि आरक्षण का फायदा ऐसे लाभार्थियों को नहीं मिलना चाहिए जिन्होंने अपना धर्म बदल लिया है।
मुस्लिम समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिल रहा है। अल्पसंख्यकों के नाम पर मिलने वाली सुविधाएँ प्राप्त हो रही हैं। संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत लाभ प्राप्त हो रहे हैं। इसके अलावा मुफ्त राशन, घर, घर में नल, शौचालय, बिजली और गैस की सुविधाएँ मिल रही हैं। फिर अनुसूचित जाति में आरक्षण की जिद्द क्यों की जा रही है?
मुस्लिम संगठन और नेता मुस्लिमों के लिए आरक्षण की माँग करते रहे हैं। आलोक कुमार ने ‘ईटीवी भारत’ से कहा कि अनुसूचित वर्ग को मिल रहा आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि अब समाज के किसी भी वर्ग के साथ सामाजिक भेदभाव नहीं रहा।
इसी विषय पर जनजातीय समाज द्वारा भी लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है की उनके अधिकार का आरक्षण लाभ कन्वर्टेड ईसाई के रहे हैं जिसका अंत होना चाहिए। इसकी विस्तृत जानकारी के लिए आप ये वीडियो देख सकते हैं👇👇
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दशकों से जनजातीय समाज संघर्षरत है, अनेकों आंदोलन और रैलियां कर चुका है लेकिन दुर्भाग्य की इनकी आवाज किसीने नहीं सुनी। स्वताः संज्ञान लेने वाले आदरणीय ने भी लाखों करोड़ों जनजातीय समाज के लोगों की तरफ ध्यान नहीं दिया, और आज भी उनके अधिकार का आरक्षण ऐसे लोग हजम कर रहे हैं जो अपना धर्म किसी लालच या प्रलोभन के कारण अज्ञानतावश बदल चुके हैं।
आरक्षण तो खुद ही देश के लिए घातक है लेकिन इस आरक्षण में भी इतना बड़ा झोल है की धर्म छोड़ने के बाद भी पहचान भले ही बदल जाए लेकिन आरक्षण मिलता रहेगा।
ग्रेटर नोएडा के गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में विश्व संवाद केंद्र, जीबीयू और हिंदू विश्व पत्रिका द्वारा ‘धर्मांतरण एवं आरक्षण’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी के दौरान अलग-अलग वर्ग के 150 लोगों ने धर्मपरिवर्तन कर चुके लोगों को मिल रहे आरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किए। इनमें पूर्व न्यायाधीश, विश्व विद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, पत्रकार और वकील शामिल थे। ज्यादातर लोगों का कहना था कि धर्म परिवर्तन करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के अनुसार संगोष्ठी के बाद आरएसएस की मीडिया शाखा विश्व संवाद केंद्र ने न्यायमूर्ति के जी बालकृष्णन आयोग को एक ज्ञापन सौंपने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति के जी बालकृष्णन आयोग को धर्मांतरण कर चुके अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को आरक्षण देने के मुद्दे का परीक्षण करने की जिम्मेदारी दी है।