मारीच का पुत्र कालनेमि जिसका वध भगवान हनुमान जी ने किया

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 मारीच का पुत्र कालनेमि जिसका वध भगवान हनुमान जी ने किया




कालनेमि एक मायावी राक्षस था जो रावण के दरबार में था (Kalanemi in Ramayana)। रामायण की सुप्रसिद्ध मायावी राक्षसनी ताड़का उसकी दादी थी व मारीच उसके पिता (Kalnemi character in Ramayana)। कालनेमि अपनी माया से किसी का भी रूप धारण कर सकता था इसलिये रावण ने उसे एक महत्वपूर्ण कार्य सौंपा था जिसमे उसकी मृत्यु हो गयी थी। आइये जानते हैं (Kalnemi role in Ramayan)।


जन हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए (Kalanemi in Ramayana)

लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध के समय जब मेघनाथ ने लक्ष्मण पर शक्तिबाण चलाया तो लक्ष्मण उससे मुर्छित हो गए थे। यह घाव इतना भयंकर था कि इसके लिए लंका के वैद्य सुषेन की सहायता ली गयी (Kalnemi character in Ramayana)। वैद्य सुषेन ने सुबह सूर्योदय से पहले तक हिमालय पर्वत से अद्भुत संजीवनी बूटी को ही इसका एकमात्र उपाय बताया। यह सुनकर हनुमान इस कार्य को करने के लिए तैयार हुए व संजीवनी बूटी लेने के लिए चले गए (Kalnemi in Hindi)।


रावण ने कालनेमि को हनुमान वध के लिए भेजा (Ravan Kalnemi Samvad)

जब रावण को अपने गुप्तचरों से हनुमान के द्वारा हिमालय से संजीवनी बूटी (Sanjivani buti) लाने की बात पता चली तो उसने हनुमान जी को बीच रास्ते में रोकने व उसका वध करने के लिए कालनेमि को बुलाया (Marich son name)। कालनेमि ने पहले तो रावण को समझाया कि वह हनुमान जी को रोकने में असमर्थ हैं लेकिन रावण के हठ करने पर वह तैयार हो गया।


कालनेमि का साधु रूप (Kalnemi Sadhu vesh)

इसके बाद कालनेमि हनुमान जी के हिमालय जाने के रास्ते में एक पहाड़ी पर गया व अपनी माया से साधु का रूप बना लिया। इसके साथ ही उसने आसपास पवित्र झील, सरोवर, बाग व स्वयं की कुटिया का निर्माण किया। वह साधु के वेश में आसन्न ग्रहण करके बैठ गया व राम नाम का जाप करने लगा।


जब हनुमान जी ने आकाश में से उड़ते हुए एक साधु को राम नाम का जाप करते देखा तो उन्हें उत्सुकता हुई व वे उसे देखने नीचे आयें। कालनेमि ने हनुमान को वही थोड़ी देर विश्राम करने को कहा व कहा कि वह अपनी शक्ति से उन्हें कुछ पल में ही हिमालय पर्वत पर पहुंचा देंगे।


हनुमान जी के द्वारा मगरमच्छ का वध (Hanuman magarmach vadh)

हनुमान जी विश्राम नही करना चाहते थे लेकिन जब साधु ने उन्हें बताया कि वे उन्हें एक पल में हिमालय पहुंचा देंगे तो वे उनकी बातों में आ गए। इसके बाद कालनेमि ने उन्हें पास की झील में स्नान करने को कहा। उस झील में एक मगरमच्छ था जिसे कालनेमि ने हनुमान की हत्या करने को कहा था।


जैसे ही हनुमान जी उस सरोवर में उतरे व स्नान करने लगे तो मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया। हनुमान जी ने अपने बल व पराक्रम से उस मगरमच्छ का वध कर दिया। वध होते ही वह एक सुंदर अप्सरा में बदल गया व उस अप्सरा ने हनुमान जी को बताया कि वह एक ऋषि के श्राप के कारण मगरमच्छ का जीवन भोग रही थी। साथ ही उसने कालनेमि का रहस्य भी हनुमान जी को बता दिया।


हनुमान जी के द्वारा कालनेमि का वध (Kalnemi vadh Hanuman)

जब हनुमान जी को कालनेमि के एक साधु वेश में राक्षस होने का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए। वे उसी समय कालनेमि के पास गए व उसी पहाड़ी पर उसका वध कर दिया (Ramayan Kalnemi ki Mrityu)। इसके बाद उन्होंने फिर से हिमालय पर्वत के लिए अपनी उड़ान भरी।

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