भले ही चीन को हम शत्रु देश मानते हैं और उसके प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का भी आवाहन करते हैं लेकिन शत्रु की भी कोई अच्छी बात हो तो उसे स्वीकार करना चाहिए।
चीन , भारत से 2 वर्षों बाद आजाद हुवा था लेकिन चीन की जनता को ऐसा कोई आभास वर्तमान में नहीं होता की चीन कभी आजाद भी था, वहीं भारत की जनता को याद करने की जरूरत ही नहीं उनके तो मन मस्तिष्क में छपा हुवा है की वो 1000 साल की गुलामी भोगे हुए हैं, और कुछ तो उस आजादी को ज्यादा अच्छा बताते हैं।
चीन, भारत से 2 साल बाद आजाद हुवा फिर लेकिन आज विश्व शक्ति के नाम से जाना जाता है, और भला हो की 2014 में भारत को एक राष्ट्रप्रेमी नेतृत्व मिला जिस कारण आज भारत को कुछ सम्मान मिल रहा है अन्यथा भारत तो सपेरों के देश के नाम से ही जाना जाता था।
खैर चीन की इस उपलब्धि का मुख्य कारण आप इस वीडियो से समझ सकते हैं। वीडियो में एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय जी चीन के आगे बढ़ने का मुख्य कारण बताया है साथ ही भारत को विश्व में सबसे मजबूत पहचान दिलाने के लिए हमें क्या करना चाहिए वो भी सुझाया है।
वैसे अश्विनी उपाध्याय जी ने सुप्रीम कोर्ट नई PIL लगाकर कोशिश तो की थी की देश से गुलामी की निशानियां मिटे लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अजीब से कारण देते हुए उनकी PIL को कूड़े में फेंक दिया। यहां वास्तव में वो PIL नहीं देश का उज्जवल भेजी कूड़े में फेंक गया।
आखिर कब तक धोते रहेंगे गुलामी की जंजीरों को? क्या भारत को पूरी तरह आजाद नहीं किया जाना चाइए और भारत की असल विरासत को दुनिया के समक्ष नहीं रखना चाहिए?
क्यों सड़कों, स्मारकों, इमारतों, मोहल्लों, शहरों, गांवों के नाम विदेशी आक्रांताओं के नाम पर हों? क्या हमारे पास महान व्यक्तित्वों के नामों को कमी है?
कमजोरी हमारी है की हमने आवाज नहीं उठाई और चुपचाप मानसिक गुलामी के इस बोझ को ढोते रहे हैं। अब और नहीं....