रामेश्वरम के आसपास बने इन तीर्थो से जुड़े है श्री राम और सीता माता के रहस्य...
रामेश्वरम तीर्थ भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध ओर खास मन्दिरो में से एक है। मान्यता है कि इस मंदिर के शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने स्वयं की थी।
रामेश्वर के महत्व और खासियत के बारे में कई पुराणों ओर ग्रन्थों में पाया जाता है। जितना महत्वपूर्ण और खास रामेश्वर मंदिर है उतने ही खास उसके आसपास मौजूद ये नौ (9) तीर्थ है। इन सभी जगहों पर भगवान श्रीराम और देवी सीता से जुड़ी कुछ खास घटनाएं घटी थी।
आइये जानते है कि रामेश्वर के आसपास मौजूद वो कौन से नौ (9) तीर्थ है:-
01. जाड़ा तीर्थ: रामेश्वरम से करीब 3.5 कि.मी. की दूरी पर जाड़ा नाम का एक तालाब है। मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम रावण का वध करके लौट रहे थे तब उन्होंने इसी तालाब में अपने जाड़ा यानि अपने बाल धोए थे। जाड़ा तालाब के पास ही एक शिव मंदिर बना हुआ है। कहा जाता है कि यहाँ के शिवलिंग की पूजा खुद भगवान राम ने की थी।
02. गंधमादन पर्वत: यही वह जगह है, जहाँ भगवान श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ बैठ कर युद्ध के लिए नीतियां बनाया करते थे। इसे रामेश्वरम की सबसे ऊंची जगह माना जाता है इसलिए यहाँ से दूर दूर के नजारे बड़ी आसानी से देखे जा सकते है। कई लोगो का कहना है कि इस पर्वत पर भगवान श्रीराम के चरणों के निशान भी है।
03. विलूंदी तीर्थ: रामेश्वरम मंदिर से लगभग सात (7) कि. मी. की दूरी पर एक कुआं है। मान्यता है कि इस कुएं को भगवान श्रीराम ने अपने तीर मार कर बनाया था क्योकि देवी सीता को प्यास लगी थी ओर देवी सीता ने उस कुएं का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी।
04. अग्नितीर्थ: रामेश्वर मंदिर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर यह तीर्थ है। रावण का वध करने के बाद भगवान श्रीराम ने इसी जगह स्नान किया था, जिसे आज "अग्नि तीर्थ" के नाम से जाना जाता है। जो भी मनुष्य इस जगह पर स्नान करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है ओर पूण्य की प्राप्ति होती है।
05. धनुषकोटि तीर्थ: धनुषकोटि तीर्थ रामेश्वरम मंदिर से पूर्व दिशा में लगभग 18 कि.मी. की दूरी पर है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने इसी पल की मदद से लंका तक का सफर तय किया था। रावण का वध करने के बाद विभीषण की प्रार्थना पर भगवान श्रीराम ने इस पुल को इसी जगह से तोड़ दिया था, ताकि भविष्य में कोई भी राक्षस इसकी सहायता से लंका पहुँच कर आक्रमण ना कर सके।
06. लक्ष्मण तीर्थ: रामेश्वरम मंदिर के पाश ही लक्ष्मण तीर्थ नाम की जगह है। यहाँ पर मंदिर के पास ही एक तालाब बना हुआ है, जिसे बहुत ही पवित्र माना जाता है यहाँ के मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस तालाब में स्नान करने की मान्यता है। मंदिर की दीवारों पर रामायण की कहानी चित्रों के द्वारा दर्शायी गई है।
07. पंचमुखी हनुमान मंदिर: रामेश्वरम मंदिर से केवल 2 कि.मी. की दूरी पंचमुखी हनुमान मंदिर है, इसी जगह पर भगवान हनुमान ने सबसे पहले अपने पांच मुखों के दर्शन कराये थे। मंदिर में स्थापित हनुमान प्रतिमा को सिंदूर से सजाया जाता है। मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी की भी प्रतिमाएं है।
08. कोथानदारामस्वामी मंदिर: रामेश्वरम मंदिर के पास बने कोथनदारामस्वामी मंदिर को लगभग 500 साल पुराना माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यही वह जगह है, जहाँ भगवान श्रीराम ने विभीषण अभिषेक किया था। मंदिर में भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ विभीषण जी की भी प्रतिमाएं है। मंदिर परिसर में भगवान श्रीराम के चरणों के निशान है ओर मंदिर की दीवारों पर भगवान श्रीराम के द्वारा विभीषण का अभिषेक करते हुए की चित्र भी बने हुए है।
09. सेतुकराई: सेतु कराई वही जगह है जहाँ से राम सेतु बनाने के प्रक्रिया शुरू की गई थी। वैसे तो आज वास्तविक पुल विलुप्त सा हो गया है लेकिन इसी जगह को उसका मूल स्थान माना जाता है। यह जगह रामेश्वरम से लगभग 58 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। अब यहाँ पर हनुमान जी का एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है।