#HindusUnderAttack
सहिष्णुता का दंड
सहनशीलता की सीमा होती है और संभवतः अब हिंदुओं की सहनशीलता की सीमा पार हो चुकी है
बार - बार ,लगातार हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाता है, उन्हें धर्मांतरित किया जाता है, हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कुचला जाता है, हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया जाता है, हिंदू शास्त्रों को गलत तरीके से पेश किया जाता है, साधु संतों को बदनाम किया जाता है उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचे जाते हैं और तो और शिक्षा में भी झोल करके हिंदी बच्चों को स्वधर्म के विरुद्ध , साधु संतों के विरुद्ध बरगलाया जाता है।
आखिर ये सब कब तक सहन किया जाय और क्यों?
अब हिंदुओं को समझना होगा की इन सबका कारण क्या है? विचार करना होगा को क्या हमारी सहिष्णुता ही हमारी सबसे बड़ी शत्रु बन गई है? क्या हमारा लोगों को क्षमा कर देना हमारे लिए घातक बन रहा है? यदि हां तो हमें क्या करना चाहिए?
आश्चर्य की बात तो ये हैं की यदि हिंदू विरोध करता है और FIR करवाता है तो भी अपराधी को सुप्रीम कोर्ट से छूट मिल जाती है और गिरफ्तारी पर रोक लग जाती है, ऐसी घटना हिंदुओं को ठेंगा दिखाती है की अब कानून भी तुम्हारी भावनाओं को कोई खास महत्त्व नहीं देता।
सुप्रीम कोर्ट के लीना के मामले में किए गए फैसले ने हिंदू समाज को हिला कर रख दिया और एक प्रत्यक्ष संदेश ये गया की अपराधियों की बातें ज्यादा ध्यान से सुनी जाती हैं और पीड़ितों को इग्नोर कर दिया जाता है यदि वो हिंदू हैं।
जहां नूपुर के मामले में सुप्रीम कोर्ट नूपुर शर्मा को फटकार लगता है वहीं जुबैर के मामले में सुप्रीम कोर्ट की उदारता देखने मिलती है और लीना जिसने मां काली को सिगरेट पीता दिखाया और lgbt का झंडा पकड़ा दिया उसके विरुद्ध की गई सभी FIR को माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने ठेंगा दिखाते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी
ये सब बातें हिंदुओं को बारीकी से समझनी होगी, उन्हें समझना होगा की नेता हो या अभिनेता, कॉमेडियन हो या नचनिया हर कोई बड़ी आसानी से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत कर देते हैं ..आखिर क्यों? क्या वो अन्य मजहब अथवा पंथ के विरुद्ध ये सब कर सकते है?
जागो हिन्दू जागो और अपने साथ होते अन्याय को समझते हुए उसके विरुद्ध संगठित होकर आवाज उठाना सीखो
आज रविवार 22 जनवरी 2023 को प्रशासक समिति द्वारा ट्विटर पर ट्रेंड के माध्यम से आवाज उठाई जा रही है। सभी सनातनी संगठित होकर इस ट्रेंड में अपना सहयोग दें और आवाज उठाएं।
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