घटना सन 1947 की है
भारत माता की अलग खंड खंड होकर पाकिस्तान बनने की घोषणा कुछ ही समय हुई थी।
समस्त पंजाब सिंध बंगाल में मुस्लिम म्लेच्छ दंगाईयों ने हिंदुओं को मारना काटना तथा गांव को आग की लपटों में भस्मीभूत करना आरंभ कर दिया था।
हिंदुओं को या तो तलवार के बलपर हिंदू धर्म छोड़कर मुसलमान बनने को बाध्य किया जा रहा था अन्यथा उन्हें मारकाट कर भगाया जा रहा था।
पंजाब पाकिस्तान के ग्राम टहलराम में भी मुसलमानोंने हिंदुओं को आतंकित करना आरंभ कर दिया।
दंगाइयोंकी एक सशस्त्र
भीड़ ने हिंदुओं के गांव एवम् घरों को घेर लिया तथा हिंदुओं की सम्मुख प्रस्ताव रखा कि या तो सामूहिक रुप से कलमा पढ़ कर मुसलमान हो जाओ अन्यथा सभी को मौत के घाट उतार दिया जाएगा ।
बेचारे बेबस हिंदुओं ने सोचा कि जब तक हिंदू मिलिट्री ना आए इतने समय तक कलमा पढ़ने का बहाना करके जान बचाई जाय।
उन्होंने मुसलमानों की कहने से कलमा पढ़ लिया किंतु राम राम का जाप
करने लगे।
एक मुस्लिम दंगाई ने कहा
ये काफिर हमें धोखा दे रहे हैं हिंदू सेना आते ही जान बचा कर भाग जाएंगे इनको गौ मांस खिलाकर उनका धर्म भ्रष्ट किया जाए और जो गोमांस ना खाए उसे मौत के घाट उतार दिया जाए।
एक शरारती मुसलमाने दंगाई मुसलमानों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा।
ठीक है इन्हें गौ मांस खिलाकर इनकी परीक्षा की जाए।
मुसलमानों ने गांव टहलराम के प्रतिष्ठित व्यक्ति तथा हिंदू के नेता पंडित बिहारी लाल जी से कहा कि आप सभी लोग गौ मांस खाकर या सिद्ध करे कि आप हृदय से हिंदू धर्म छोड़कर मुसलमान हो गए हैं।
जो गोमांस नहीं खाएगा उसे हम काफीर समझकर मौत के घाट उतार डालेंगे।
पंडित बिहारी लाल जी ने मुस्लिम दंगाईयों के मुख
से गौ मांस खाने की बात सुनी तो उनका हृदय कांप उठा😟
उन्होंने मन में विचार किया कि धर्म की रक्षा के लिए प्राणोउत्सर्ग करने सर्वस्व समर्पित करने का समय आ गया है।
छलकती आंखों के सम्मुख धर्मवीर हकीकत राय तथा गुरु गोविंद सिंह के पुत्रोद्वारा धर्म की रक्षा के लिए प्राणोउत्सर्ग करने की झांकी उपस्थित हो गई।
वीर बंदा वैरागी द्वारा धर्म की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस गरम गरम चीमटो से नुचवाये जाने का दृश्य सामने आ गया।
पंडित बिहारी लाल जी ने विचार किया कि इन गौ हत्यारे धर्म हत्यारे म्लेच्छ के अपवित्र हाथों से मरने की अपेक्षा स्वयं प्राण देना अधिक अच्छा है।
हमारे प्राण रहते ये म्लेच्छ हमारी बहन बेटियों को उठाकर ना ले जाएं और उनके पवित्र शरीर को म्लेच्छों का स्पर्श भी न हो सके ऐसी युक्ति निकालीनी चाहिए।
पंडित बिहारी लाल जी ने मुसलमानों से कहा कि हमें चार घंटे का समय दे दो जिसे सभी को समझा कर तैयार किया जा सके।
दंगाइ मुसलमान तैयार हो गए।
पंडित बिहारी लाल जी ने घर जाकर अपने समस्त परिवार वालों को एकत्रित किया घर की एक कोने में पत्नी वह बेटा बालक बुढ़े सभी को एकत्रित करके बताया कि म्लेच्छ मुस्लमान गौ मांस खिलाकर हमारा प्राण प्रिय सनातन धर्म से भ्रष्ट करना चाहते हैं।
सभी लोग विचार विमर्श करने के बाद अपनी प्राणों की आहुति देने के लिए
तैयार हो गए।
सभी स्त्री पुरुष बाल वृद्ध निर्भीकता पुर्वक उत्तर दिया गोमांस खाकर धर्म भ्रष्ट होकर परलोक बिगाड़ने कि अपेक्षा धर्मकी बलिवेदी पर प्राण देना अच्छा है।
हम सभी मृतकों आलिंगन करने के लिए तैयार हैं।
पंडित बिहारी लाल जी ने महिलाओं को आदेश दिया तुरंत नाना प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाओ और भगवान को भोग लगाकर खूब छककर खाओ अंतिम बार खाओ और फिर सुंदर वस्त्र आभूषण पहनकर धर्म की रक्षा के लिए मौत की खेल खेलने के लिए मैदान में खड़े हो जाओ।
तुरंत तरह तरह की स्वादिष्ट भोजन बनाएं जाने लगे भोजन बनने पर ठाकुर जी को भोग लगाकर सबने डटकर भोजन किया तथा अच्छे वस्त्र पहनें ।
सज धज कर एवं वस्त्रभूषण धारण कर के सभी एक लाइन में खड़े हो गए।
सभी मे अपूर्व उत्साह व्याप्त था।
पंडित बिहारी लाल जी का समस्त परिवार गो रक्षार्थ धर्म रक्षार्थ प्राणों की आहुति देकर बैकुंठधाम जाने के लिए शीघ्रातिशीघ्र मृत्यु को आलिंगन करनें के लिए व्याकुल हो रहा था।
सभी को एक लाइन में खड़ा करके पंडित बिहारी लाल जी ने कहा आज हमें हिंदू से मुस्लमान बनाने और अपने गौ माता का मांस खाने को बाध्य किया जा रहा है हमें धमकी दी गई है कि यदि हम गोमांस खाकर मुसलमान बनने पड़ेंगे नहीं तो सभी को मौत के घाट उतार दिया जाएगा हम सभी अपने प्राण प्रिय सनातन धर्म की रक्षा के लिए गोमाता की रक्षा के लिए हंसते-हंसते बलिदान होना चाहते हैं।
सब ने श्रीभगवान को स्मरण किया और पंडित बिहारी लाल जी ने अपने बंदूक उठा कर धाॅय धाॅय
करके अपनी धर्म पत्नी पुत्री पुत्र बंधु बांधवों तथा अन्य सभी परीवार को गोली से उड़ा दिया 😭
किसी के मुख से उफ़ तक नहीं निकली हंसते हुए मुस्कुराते हुए धर्म की रक्षार्थ बलिदान हो गए।
घर लाशों के ढेर से भर गया।
अब पं° बिहारीलाल एवं उनके भाई दोनों व्यक्ति ही बचें थे।
दोनों में आपस में संघर्ष हुआ कि पहले आप मुझे गोली मारें दुसरे ने कहा नहीं पहले आप मुझे गोली मारो अन्त में दोनों ने अपने अपने आथों में बंदुक थामकर आमने-सामने खड़े होकर एक दूसरे पर गोलियां दाग दी।
पुरा परिवार ही धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गया।
गांव के हिन्दूओं ने जब पंडित बिहारीलाल जी के परिवार के इस महान बलिदान को देखा तो उनका भी खुन खौल उठा।
वे भी धर्मपर प्राण देने को मचल उठे।
मुस्लिम दंगाईयों के आने से पूर्व ही हिंदूओं ने जल कर कुंओ में कुद कर एवं मकान की छत से छलांग लगाकर प्राण दे दिया किन्तु गो मांस का स्पर्श तक न किया।
मुस्लिम दंगाई की भीड़ ने कुछ समय पश्चात पुनः गांव टहलराम में प्रवेश किया तब उन्होंने गांव की गली गली में हिंदू वीरों की लाशे पड़ी देखी।
पंडित बिहारीलाल के मकान में घुसने पर लाशों का ढेर देखकर तो दंगाई आवाहक रह गए।
1947 में बटवारा के बाद जो पाकिस्तान में रहे गए हिंदुओं के साथ यैसी दुर्दशा हुई थी।
अगर हिंदू अभी भी जाती में बटा रहा तो समय रहते सचेत नहीं हुआ तो
कुछ समय के बाद यैसी घटना भारत में घटने लगेगी।

