जहां अधिकांश स्कूल रुझानों का आंख मूंदकर अनुसरण करते हैं, वहीं इस स्कूल ने क्रिसमस के बजाय गर्व से अपने छात्रों के साथ तुलसी पूजन दिवस मनाया।यह वास्तविक शिक्षा है - जो हमारी संस्कृति, मूल्यों और पहचान में निहित है। हमें ऐसे कई स्कूलों और निडर शिक्षकों की जरूरत है।
हर सनातनी शिक्षक को ऐसे ही अपनी धर्म संस्कृति को महत्व देना चाहिए जो संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी है। क्रिसमस के नाम पर बच्चों को जोकर बनाकर खुशियां मनाना कौनसी समझदारी है? तुलसी पूजन दिवस के रूप में तुलसी का महत्व बच्चो को समझना पर्यावरण के लिए भी और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है साथ ही बच्चे अच्छे संस्कारों से भी पोषित होते है

