यह बात कड़वी है, लेकिन सच है कि कट्टर मजहबी सोच में औरत की हालत बेहद दयनीय बना दी जाती है। उसे इंसान नहीं, बल्कि एक वस्तु की तरह देखा जाता है जैसे किसी की जागीर हो, जिस पर जब चाहे, जैसा चाहे हक जताया जाए। हालात इतने शर्मनाक हैं कि एक शहर में एक व्यक्ति ने अपनी ही बेगम को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटा, क्योंकि उसने उसके दोस्त के साथ जबरन संबंध बनाने से इनकार कर दिया।
सोचिए, जहाँ औरत की मर्जी, सम्मान और सुरक्षा की कोई कीमत ही न हो, वहाँ इंसानियत कैसे बचेगी? यह मुद्दा किसी नफरत का नहीं, औरत के अधिकार और मानव गरिमा का है। जरा सा हिजाब हटा देने पर हाय तौबा करने वाले इसपर नहीं गुस्साते जब कोई हलाला के नाम पर अपनी ही जोरू को किसी के नीचे सुला देता है... #Jahil। हिंदू बेटियों इन जेहादियों से मोहब्बत करोगी तो ऐसे ही परोसा जाएगा कइयों की प्यास बुझाने के लिए

