“जिहाद ” बनाम “भारत का कानून” मौलाना मदनी का बयान“ जब तक ज़ुल्म होगा, तब तक जिहाद होगा…सुप्रीम कोर्ट को सुप्रीम कहने का भी हक़ नहीं।”
सीधा पलटवार — अजय आलोक का - “ये भारत है, शरीया नहीं चलेगा। यहाँ जिहाद का नहीं, संविधान का राज चलेगा। शिफ्ट होना है तो कहीं और सोचो।”
एक तरफ कट्टर सोच, दूसरी तरफ राष्ट्र का स्पष्ट जवाब। लेकिन ये काफी नहीं क्योंकि मदनी और उस जैसे कई जेहादी लगातार राष्ट्र को अस्थिर करने वाले बयान और काम करते रहते है इसंपर ऐसी कार्यवाही की जानी चाहिए कि इनकी मानसिकता के अन्य जेहादी और इन सबकी पुश्ते जेहाद का नाम लेने से भी घबराएं... केवल जुबानी कार्यवाही समाधान नहीं

