मदरसे जहां से कभी आतंकियों के तर जुड़ते है, कभी हथियार मीठे है, कभी आतंकियों को शरण दी जाती है तो कभी नकली नोट बनाने की फैक्ट्री निकलती है और यहां दी जाने वाले शिक्षा पर भी अनेकों बात प्रश्न उठ चुके है...फिर इन्हें पोषित करने इन्हें बनाए रखने कहां की समझदारी है?
सभी जानते हैं कि यह मजहबी ठिकाने ही आतंकवाद और जिहाद को लोगों के दिमाग में भर के देश को अस्थिर कर रहे हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन पर वह कार्यवाही नहीं की जा रही जो आतंक और जेहाद पर पूर्ण विराम के लिए जरूरी है।

