एक छोटी से कहानी से समझिए लद्दाख हिंसा का खेल। देश की सुरक्षा से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जा सकता... इस सारे खेल के पीछे एक तरफ सोरोस गैंग है तो एक तरफ चीन का षड्यंत्र
हरियाणे का एक मशहूर किस्सा है कि एक बार एक मंत्री दौरे पर गये और उस गाँव के सयानों से कहा कि तुम अपनी कोई मांग हो तो बताओ।
पंचो ने थोड़ी देर आपस में खुसर पुसर की और मंत्री के पास जाकर बोले कि गाँव में ईश्वर की कृपा से सब कुछ है बस एक पुल नहीं है तो अगर पुल बनवा दें तो बड़ी मेहरबानी होगी।
नेताजी ने हैरत से चारों ओर देखा और पूछा कि गाँव के चारों ओर मीलों तक कोई नदी नाला नहीं है तो पुल किस पर बनवाओगे?
"तो अब हमें एक नदी भी चाहिए।" लट्ठ पटकते हुए पंच एक स्वर में बोले।
---
भाजपा ने 2019 में लद्दाख को संघ शासित क्षेत्र बनाने का वादा किया था, जिसे पूरा किया।
लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भाजपा ने चुनावी घोषणा-पत्र में छठी अनुसूची का वादा किया था, लेकिन अब इसे लागू नहीं कर रही।
कांग्रेस शासन के साठ सालों में लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, तब कोई बड़ा विरोध नहीं था। लेकिन अब कश्मीरियों के शोषण व पक्षपात से मुक्ति मिली तो पर निकल आये।
वैसे तो घोषणापत्र कोई 'टैन कमांडमेंट' नहीं हैं कि उससे पीछे न हटा जा सके, विशेषतौर पर तब जबकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है जिस पर छठी अनुसूची के बहाने स्वायत्तता के माध्यम से जब तब अडंगे डाले जाएंगे लेकिन फिर भी एक बार को छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्तता दे भी दें तो अपनी परिषद चलाने के लिए आर्थिक स्रोत कहाँ से लाओगे?
तीन चार लाख जनसंख्या का क्षेत्र जो मात्र पर्यटन के भरोसे है, उसे स्वयत्तता चाहिए?
क्यों ताकि पर्यटकों और रक्षा परियोजनाओं पर रोक लगा सकें?
वस्तुतः यह देशद्रोही इटालियन पूत और उसके कांग्रेसी गुंडों द्वारा अराजकता फैलाने के उकसावे के प्रयत्नों की नवीन कड़ी है जिसमें वांगचुक 'लद्दाख का केजरीवाल' बनने का सपना देख रहा है कि बस मुझे कैसे भी तीन लाख की जनसंख्या के अद्भुत राज्य का मुख्यमंत्री बना दो।
लेकिन राज्य छोड़िये, अगर छठी अनुसूची का दर्जा दे भी दिया गया तो यह हर रोज आर्थिक पैकेज की मांग करेगा और न मिलने पर रक्षा परियोजनाओं को लेकर ब्लैकमेल करेगा।
पहले छठी अनुसूची का दर्जा दो और फिर उस स्वायत्तता को बनाये रखने के लिए हर दिन आर्थिक अनुदान भी दो जो अंततः मुल्लों के हाथ पहुँच जाना है।
मतलब पहले पुल की मांग करो और नदी नहीं है तो फिर नदी की भी मांग करो। *(PC- CA Rajiv Chandak 9881098027)*