पिछ्ले दिनों दिल्ली #हाईकोर्ट में एनआईए की अपील पर सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने सभी को चौंका दिया,किन्तु इसकी ना तो मीडिया में खास चर्चा हुई और ना ही किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर। मामला #टेरर फंडिंग और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा गंभीर था, जिसपर #एनआईए मृत्युदंड की मांग कर रही है। कोर्ट की नज़रें अपने फैसले पर टिकी थीं, लेकिन असली धमाका तब हुआ जब मलिक ने खुलकर दावा किया कि वह अकेला नहीं था — बल्कि वह एक उच्च स्तर के राज्य-प्रायोजित बैकचैनल का हिस्सा था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, इंटेल प्रमुख और बड़े उद्योगपति शामिल थे।
अदालत की इस कार्यवाही से ज्यादा #राजनीतिक हलकों की नज़रें राहुल गांधी पर थीं, जो अपने तथाकथित "हाइड्रोजन बम" बयान के साथ मीडिया में छाए हुए थे। उम्मीद थी कि राहुल देश की राजनीति में बड़ा बम फोड़ेंगे, लेकिन उनका जोरदार बयान अंततः मूली का पराठा बम निकला — जोर का धमाका भूस्स से ताकि जान माल की कोई क्षति ना हो।
वहीं यासीन मलिक ने अपनी #अदालत की दलील में ऐसा नाम उजागर किया जिससे भारत की राजनीति, सुरक्षा तंत्र, और कश्मीर नीति के सारे पुराने राज हिलते हुए महसूस हुये।
मलिक ने स्पष्ट कहा कि उनकी गतिविधियाँ किसी व्यक्तिगत जिद या #आतंकी संगठन की सीमित मानसिकता नहीं थीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक-ब्यूरोक्रेटिक नेटवर्क से संचालित होती थीं, जिसमें तत्कालीन #कांग्रेस नेतृत्व, नेशनल कॉन्फ़्रेंस, PDP जैसी पार्टियों, बड़े कारोबारी, सरकारी एजेंसियों और शक्तिशाली लोगों की संलिप्तता थी। अदालत में यह 'एटम बम' गिराने के बाद मलिक ने उन सभी नेताओं पर सवाल उठाए जिनकी भूमिका कश्मीर की नीतियों में दशकों से रही है — और अपने चौंकाने वाले खुलासे के बाद वह पूरी व्यवस्था के केंद्र में आ गए।
वैसे यह तो सर्वविदित तथ्य है कि बिना सांस्थानिक और राजनीतिक #ecosystem के सहयोग के कश्मीर में इतनी लम्बी अशांति और उपद्रव की स्थिति रहना असंभव था, लेकिन इतनी देर बाद यासीन मलिक का आरोप खुद को फांसी से बचाने का एक पैंतरा भी हो सकता है,जब उसकी किसी भी राजनैतिक और राष्ट्रविरोधी चैनलों से बचाव की धुंधली सी भी उम्मीद खत्म हो गयी हो।
अब अदालत इस पर विचार कर रही है कि क्या वाकई ऐसी साजिशों को राज्य समर्थित बैकचैनल के जरिए अंजाम दिया गया और यदि सही है तो क्या ऐसे अपराध पर ‘rarest of rare’ सिद्धांत लागू होगा, और क्या सचमुच देश की न्याय प्रणाली को ऐसे मामलों पर #मृत्युदंड देना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी, जहां मलिक का पक्ष दोबारा गूंजेगा — और देश की राजनीति के कई चेहरे अपने सही रूप में जनता के सामने आएंगे।
✍️Manoj Kumar:sabhar