1️⃣सनातन धर्म कोई 'व्यवस्था' नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक विज्ञानसम्मत विधि है; जहाँ समयानुसार सुधार, परिवर्तन और प्रयोग सदैव स्वागत योग्य रहे हैं।लेकिन जब विदेशी आक्रांताओं ने भारत की आत्मा पर हमला किया, तब सनातन को विकृत किया गया।
2️⃣ 'सती प्रथा': धर्म नहीं, युद्ध की त्रासदी थी।
राजपूत रानियों का जौहर हिंदू परंपरा नहीं, बल्कि विदेशी आक्रांताओं से बचने का आखिरी उपाय था।जब तुर्क और अफग़ान हमलावर राजाओं की हत्या कर रानियों को हरम में ले जाते थे, तब रानियाँ सामूहिक अग्नि में कूद जाती थीं।
👉 अंग्रेजों ने इसे सनातन की क्रूरता बताकर प्रचारित किया ताकि धर्म को ‘बर्बर’ साबित किया जा सके।
3️⃣ 'देवदासी प्रथा': कला की हत्या।
देवदासियाँ मंदिरों में कला, संगीत और नृत्य की साधक होती थीं।मुग़ल दरबारों में इन्हें मंदिरों से उठाकर नाचने-गाने वाली बना दिया गया।बाद में ईसाई मिशनरियों ने इसे “prostitution” की तरह पेश कर हिंदू समाज को ही दोषी बना दिया।
4️⃣'छुआछूत': वेदों में नहीं, साजिश में है।वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं, कर्म से जुड़ी थी।मुग़लों ने ब्राह्मणों और गुरुकुलों को टारगेट कर समाज को विखंडित किया।फिर अंग्रेजों ने जातियों की फिक्स लिस्ट बनाई, "अछूत", "निचली जाति", ताकि आपस में वैमनस्य बना रहे।
👉 ये वही अंग्रेज हैं जिन्होंने डिवाइड एंड रूल का सूत्रपात किया था।
5️⃣'बाल विवाह': परंपरा नहीं, आपदा का हल था।
विदेशी आक्रमणों के दौर में जब युवतियाँ उठाई जा रही थीं, तब समाज ने बाल विवाह को एक सुरक्षा उपाय के रूप में अपनाया।इसे 'धार्मिक परंपरा' कहकर बदनाम किया गया, जबकि वेदों में विवाह की न्यूनतम उम्र स्पष्ट है।
6️⃣'पर्दा प्रथा': अरबी असर, वैदिक नहीं।
स्त्रियाँ गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, शास्त्रार्थ करती थीं, युद्ध में जाती थीं, ज्ञान देती थीं।लेकिन इस्लामी काल में महिलाओं पर बार-बार हो रहे हमलों के कारण पर्दा एक रक्षा कवच बन गया।बाद में इसे “हिंदू संस्कृति” कहकर प्रचारित किया गया।
7️⃣ 'विधवा अशुद्ध है': पाश्चात्य मिशनरियों का ब्रेनवॉश।
वेदों में विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार है (ऋग्वेद 10.18.8)।लेकिन मिशनरियों ने 'विधवा आश्रमों' की शुरुआत की, जहाँ कन्वर्ज़न का रास्ता खुला रखा गया।ये सनातन नहीं, धर्मांतरण की फैक्ट्री थी।
8️⃣शूद्रों को वेद पढ़ने से रोकना: कौन सा धर्म था ये?
रामायण में शबरी को श्रीराम ने प्रेम से झूठे बेर खाए।महाभारत में एकलव्य महान धनुर्धर था।
आदिशंकराचार्य ने सभी जातियों में ज्ञान पहुँचाया।
👉 पर अंग्रेजों ने शूद्रों को ‘अनपढ़’ रखने के लिए शिक्षा व्यवस्था को ही पलट दिया।
9️⃣'विधवा आश्रम': सेवा नहीं, धर्मांतरण का केंद्र।
ब्रिटिश मिशनरियाँ विधवाओं को उठाकर आश्रमों में रखती थीं।
वहाँ न कोई पुनर्विवाह होता था, न आत्मनिर्भरता सिखाई जाती थी; बल्कि धर्मांतरण के लिए मानसिक तोड़-फोड़ होती थी।
🔟 ये सभी कुप्रथाएँ सनातन की उपज नहीं, बल्कि विदेशी हमलों और औपनिवेशिक चालों की देन हैं।
सनातन धर्म को बदनाम कर लोगों को धर्म से काटना, उनकी जड़ों से तोड़ना; यही असली मक़सद था।
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आज सनातन की रक्षा करना है तो पहले हमें उसका सच्चा इतिहास जानना होगा, और थोपी गई झूठी प्रथाओं को हटाना होगा।
🚩 जय सनातन | जय भारत