कुछ लोग हमेशा कहते है कि मोदी सरकार विदेशी कंपनियों के सामने झुक जाती है।लेकिन अब भारत ने तय कर लिया है कि खेल बदलना है।23 सितम्बर को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) एक उच्च-स्तरीय बैठक करने जा रहा है।इस बैठक का मकसद है ..भारत की अपनी BIG-4 अकाउंटिंग और कंसल्टेंसी फर्म्स बनाना।यानि Deloitte, PwC, EY और KPMG जैसी विदेशी कंपनियों की मोनोपोली को तोड़ना।
बैठक में नियमों (regulatory changes) पर चर्चा होगी।घरेलू फर्मों को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाए जाएंगे।सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।आज दुनिया का ऑडिट और कंसल्टेंसी बाज़ार लगभग $240 बिलियन का है।सोचिए… इस बाज़ार पर कुछ विदेशी कंपनियों का कब्ज़ा है।भारत अब तय कर चुका है कि इसमें अपनी हिस्सेदारी लेनी ही है।
कांग्रेस के समय विदेशी फर्मों का दबदबा और भारत की निर्भरता।मोदी सरकार के समय …घरेलू BIG-4 बनाने का संकल्प और आत्मनिर्भर भारत का सपना।जब भारत की अपनी BIG-4 बनेगी तो .लाखों नौकरियाँ सीधे भारत में पैदा होंगी…अरबों रुपये का राजस्व देश के भीतर रहेगा।भारतीय कंपनियों को ग्लोबल नेटवर्क में पहचान मिलेगी।विदेशी दबदबा घटेगा और भारत की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ेगी।
यही है मोदी सरकार का विज़न ….जहाँ सिर्फ रक्षा, अंतरिक्ष और टेक्नोलॉजी ही नहीं,बल्कि अकाउंटिंग और कंसल्टेंसी जैसे क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर भारत खड़ा होगा।विपक्ष चाहे जितने सवाल उठाए…लेकिन जनता समझ रही है भारत जानता है कि सबसे बड़ा वार कहाँ करना है और सबसे गहरा असर कैसे डालना है।
यही फर्क है ….विपक्ष का दौर: विदेशी निर्भरता।मोदी सरकार का दौर: आर्थिक आत्मनिर्भरता और गर्व से खड़ा भारत।