अचानक से बंगाल पुलिस ने शरणार्थियों को घेर लिया और उनके साथ आए कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं ने शरणार्थियों से वो इलाका खाली करवाना शुरू किया।
ऐसा दावा किया गया है कि पुलिस ने आते ही फायर झोंकना शुरू किया, और दौड़ा दौड़ा कर शरणार्थियों का कत्ल किया गया। कुछ जो नदी के रास्ते जान बचा कर भागे, उनको मोटरबोट से दौड़ा कर गोली मारी गई।
15 निर्दोष बच्चे, जो कि सरस्वती पूजा के तैयारी में लगे थे, अचानक से गोलियों की आवाजों से डर के छिपे, पर उन मासूमों तक को गोलियों से भून डाला गया! इन बच्चों ने अभी दस वसंत तक ठीक से नहीं देखा था।
बच्चों के मरने के बाद सरस्वती मां की मूर्ति तक को तोड़ डाला इन कम्युनिस्टों ने! 100 से ज्यादा शरणार्थी महिलाओं के साथ कई कई बार बलात्कार किए गए और अंत में उन्हें भी भून कर मार डाला गया।
बताया जाता है कि उस वक़्त मृतकों की संख्या 1600 से भी ज्यादा थी, जिसमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
जो हुआ, उस से डर कर ये लोग वापिस अपने देश भागने शुरू हुए, जहां बीच में महामारी और बाकी दिक्कतों की वजह से कुल 4200 लोगों ने अपना दम तोड दिया!
ज्योति बसु के अगुआई में हुआ ये नरसंहार इतिहास के पन्नों पर बमुश्किल मिलता है, क्योंकि इस हत्याकांड के बाद वहां पत्रकारों के जाने तक पर पाबंदी लगा दी गई थी।
ज़्यादा जानकारी के लिए आप अमिताभ घोष की किताब ‘The Hungry Tide’ पढ़ सकते हैं।
ये वही उदारवादी लोग हैं, जिनको आज रोहिंग्याओं के लिए आवाज बुलंद करते हुए देखा जा सकता है। जिनको कश्मीर में पत्थरबाजों के हक में आवाज उठाते देखा जा सकता है। गौर करने वाली बात ये है कि ये वही कम्युनिस्ट हैं जो आज गला फाड़ कर देश में अघोषित तानाशाही होने की बात करते हैं।
इनकी हर एक रैलियों, क्रांतियों के नीचे बिछी होती है अनगिनत लाशें और दबी हुई चीखें, जिनको गले से एक बार निकालने तक का मौका नहीं दिया गया।
वामपंथ एक झूठा तिलिस्म है! और मुझे यकीन है कि इनका अपना इतिहास एक दिन इनको नेस्तनाबूत कर देगा। *(PC- CA Rajiv Chandak 9881098027)*