भारत को कानून व्यवस्था की स्थिति तो वैसे सभी जानते है, और कोर्ट में जो न्याय मिलता है उससे भी सभी परिचित है, आजकल तो कोर्ट हर मामले में अपना ज्ञान देता है... कोर्ट ने विद्यार्थियों की आत्महत्याओं पर भी चिंता जताई थी.. जतानी भी चाहिए लेकिन कोर्ट के अंदर ही कोर्ट के कर्मचारी भी आत्महत्या कर रहे हैं उसका क्या?
घटना भिलाई छत्तीसगढ़ की है जहां एक तरफ कोर्ट चल रहा था और दूसरी तरफ 40 वर्षीय सोमनाथ है सोनी कक्षा में अपने आप को फांसी के फंदे पर लटकाकर अपना जीवन समाप्त करने उनके पास मिले सुसाइड नोट के अनुसार वह अपने अधिकारियों से प्रताड़ित। सूची जहां कोर्ट में अन्याय हो रहा है वह हम कोर्ट से न्याय की अपेक्षा कैसे करें? विद्यार्थियों की आत्महत्या पर चिंता दिखाने वाला को क्या इस विषय में गंभीर होगा?