साभार...समाज मे आजकल ये सब भी चल रहा है, और ये कोई आइसोलेटेड केस नही है,बल्कि ये सब एक सिग्नीफिकेंट मात्रा मे चल रहा है — यह एक कटु सच्चाई है।लेकिन ,अनिरुद्धाचार्य जी या प्रेमानंद महाराज जैसे लोग यही बात मुँह पर बोल दे रहे हैं,तो कथित बुद्धिजीवियों के अधोकेश भभक उठ रहे हैं।
सभी बुद्धिजीवियों से निवेदन रहेगा,सत्य स्वीकार कीजिए क्योंकि यही समस्या का निदान दे सकता है। बाकी अधिकतर वही लोग हो हल्ला मचा रहे हैं जिनके अनुशार 4 - 4 के साथ मुंह मारना कोई गलत बात नहीं, वैश्यावृति भी जिनके लिए "काम" है। लेकिन समझदार और संस्कारी लोग तो इन सच को समझ सकते हैं।