क्यों घट रही हिन्दुओं की आबादी? 2050 तक भारत में कितने करोड़ हिंदू होंगे, चौंकाने वाले आंकड़े 📊
2 मिनट समय निकालकर #Thread अंत तक अवश्य पढ़े।🧵👇
🔏 लेखक : पंकज सनातनी
दक्षिण एशिया में हिंदू जनसंख्या का अनुपात ऐतिहासिक रूप से धीरे-धीरे घटता जा रहा है। ब्रिटिश राज के दौरान 1891 में हिंदू जनसंख्या 72% थी, जो 1921 में घटकर 69% रह गई। 1941 की जनगणना में यह 69.5% थी, लेकिन यदि भारत का विभाजन न हुआ होता, तो यह 2024 में 66% पर आ जाती, क्योंकि इस समय अविभाजित भारत में मु&लमानों की जनसंख्या 32% होती।
भारत में हिंदू जनसंख्या संख्या के लिहाज से तो बढ़ी है, लेकिन कुल जनसंख्या में उसकी प्रतिशत हिस्सेदारी में गिरावट आई है। 1951 में भारत में हिंदू जनसंख्या 30.36 करोड़ (84.1%) थी, जो 2011 में बढ़कर 96.62 करोड़ (79.8%) हो गई। हालांकि, हिंदू आबादी का प्रतिशत धीरे-धीरे कम हो रहा है।
1951 के बाद से आज तक किस धर्म की जनसंख्या कितनी बढ़ी है इसकी चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें ईसाई या हिन्दुओं के मुकाबले मुस्लिमों की जनसंख्या में सबसे बड़ा उछाल आया है। विश्व में हिंदू-ईसाइयों के मुकाबले इ₹लाम धर्म तेजी से बढ़ रहा है, मुस्लिमों की बढ़ी हुई जनसंख्या का आंकड़ा हिन्दुओं से तीन गुना अधिक है। हिन्दू आबादी बढ़ने की रफ्तार घट रही है, जबकि मुस्लिम आबादी तीव्रता के साथ बढ़ी है।
1951 के बाद आज तक भारत की जनसंख्या में जितने प्रतिशत मु&लमान बढ़े है उतने प्रतिशत हिन्दू घटे हैं क्योंकि मु&लमान को वो सारी चीज़े कुफ्र और हराम लगती है जिसे हिन्दू पुण्य समझते हैं, इसमें कंडोम, माला-डी भी है। और ये देखिए तंत्र मंत्र या सूखा, महंगाई, अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने इत्यादि कारणों से जितनी आत्महत्या भारत में हुई उसमें से 99.99 प्रतिशत हिन्दुओं ने की। मतलब मु&लमान बुरहान वाणी बनकर भले ही मरे पर टमाटर के कारण आत्महत्या नहीं करता है और ना रोहित वेमुला बनकर।
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❏ क्यों बढ़ रही मुस्लिमों की आबादी —
इ₹लाम धर्म में कम उम्र में शादी, धार्मिक मान्यताओं के कारण बच्चों की जन्म दर ज्यादा है। मुस्लिम महिलाएं औसतन 4-5 बच्चों को जन्म देती है, जबकि गैर-मुस्लिमों में यह औसत 2.1/2 ही है।
❏ सोचिए तथा विचार करें।
सरकारी नौकरी की तैयारी करते-करते आपके बच्चे 28 तक पहुंच जा रहे हैं और शादी कर सैटल होने तक उम्र 30, वहीं मु&लमानों की आधी फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) खत्म और 30 उम्र तक ईमान वाले 6 बच्चों के बाप।
आप 1 बच्चा पैदा कर उसी पर सब कुछ लुटा दे रहे हैं और वह 6 बच्चे पैदा करके अपना महल खड़ा कर लेता है, तो यही तीन बीबी और तेरह बच्चे वाले साम्यवाद का झंडा लहराकर कहते हैं और कहेंगे जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी। या फिर इन्हीं लोगों को नक्सली बनाकर कोई येचुरी, कोई कन्हैया, कोई रबिश भड़कायेंगे… "हे गरीब कुचले लोगों तुम्हारे हिस्से को इन महल वालों ने लूट रखा है इन्हें लूट लो।" लेकिन कोई ये नहीं बताएगा कि तब गजानन तिवारी और अब्दुल अंसारी की आर्थिक स्थिति एक समान थी, पर तिवारी जी ने एक बच्चे कि अच्छी पढ़ाई-लिखाई के लिए कंडोम को देवता माना और अंसारी जी अल्लाह के लिए दे धड़ा-धड 5 बच्चे निकाल दिए। बस इतने से तिवारी जी RSS वाले आतंकवादी हो गए और अंसारी जी रबिश के गंगा जामुनी संस्कृति वाले।
सोचिए और समय रहते विचार करें… जब तक जनसंख्या नीति लागू नहीं हो आप भी जनसंख्या बढ़ाएं वरना एक दिन आपके बच्चे जिसकी "जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी" चीखने वाली भीड़ द्वारा कत्ल कर दिए जाएंगे। एक आंकड़ा ये भी है कि हिन्दुओं की जो जनसंख्या घटी है उसमें से 75 प्रतिशत सवर्ण जनसंख्या है।
कुछ तो शर्म करो… वो बांग्लादेश से आया खुर्शीद प्याज बेचकर पांच बच्चे पाल लेे रहा है और प्याज पैदा करने वाला मंगरूलाल दो बच्चों और जवान बीबी को छोड़कर आत्महत्या कर लेते हैं।
सोचिए, क्या आपकी जंघाओं और बाजुओं में मु&लमान इतनी ताकत नहीं। आप बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं और पूरे दिल्ली में मु&लमान सैलून चला चला कर खुद जी रहे और अपने दस लोगो को रोजगार भी दे रहे हैं।
⛔ राज्यों के अनुसार हिंदू जनसंख्या (2011 जनगणना)
भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदुओं का प्रतिशत भिन्न-भिन्न है। कुछ राज्यों में हिंदू बहुसंख्यक हैं, जबकि कुछ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं।
❏ हिंदू बाहुल्य राज्य (90% से अधिक हिंदू जनसंख्या वाले राज्य)
- हिमाचल प्रदेश = 95.17%
- दादरा और नगर हवेली = 93.93%
- ओडिशा = 93.63%
- छत्तीसगढ़ = 93.25%
- मध्य प्रदेश = 90.89%
❏ हिंदू अल्पसंख्यक राज्य (50% से कम हिंदू जनसंख्या वाले राज्य)
- केरल = 54.73%
- पंजाब = 38.49%
- अरुणाचल प्रदेश = 29.04%
- जम्मू और कश्मीर = 28.44%
- नागालैंड = 8.75%
- मिज़ोरम = 2.75%
- लक्षद्वीप = 2.77%
❏ निष्कर्ष —
भारत में हिंदू जनसंख्या संख्या के हिसाब से बढ़ रही है, लेकिन उसका प्रतिशत धीरे-धीरे घटता जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण प्रजनन दर में गिरावट, अधिक मृत्यु दर, पलायन और धार्मिक असहिष्णुता के कारण कुछ क्षेत्रों से हिंदुओं का विस्थापन है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रही, तो 2050 तक हिंदू समाज की कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी और भी कम हो सकती है। इस पर समय रहते समाजशास्त्रियों और नीति-निर्माताओं को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। नहीं तो भविष्य में जनसंख्या की दृष्टि से मु&लमान भारत को "गजवा-ए-हिंद" बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगें।
✍️ साभार
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