बाबा बागेश्वर ने कुछ बातें तो ठीक कही । बिहार के सनातन सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यदि उन्हें गजवा ए हिन्द चाहिए तो हमें भी भगवा ए हिन्द चाहिए । बाबा ने कहा कि वे तिरंगे पर चांद चाहते हैं तो हमें भी चांद पर तिरंगा चाहिए । उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई किसी भी धर्म या मजहब से नहीं है । हमें उन हिंदुओं से लड़ना है जो अपने अपने दलों के माध्यम से हिंदुओं को तोड़ना और बांटना चाहते हैं ।
बाबा ने कहा कि वे हर उस पार्टी के हैं जिस जिस पार्टी में हिन्दू हैं । जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा भारत में संविधान चलेगा , शरिया नहीं । जिन्हें शरिया चाहिए वे कहीं और जाएं । उन्होंने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र है , बनाने की जरूरत नहीं । बिहार कदापि हिन्दू विरोधियों को सत्ता नहीं सौंपेगा । स्वामी रामदेव ने कहा भारत ऐसा हिन्दू राष्ट्र बनेगा जिसमें सब समान होंगे , न कोई ऊंचा न कोई नीचा ।
अब देखिए । राबड़ी ने ताज़िए को सलाम किया तो मतलब साफ है कि उन्हें मुस्लिम वोट चाहिएं । उसी दिन बाबा बागेश्वर ने लोगों ने भगवा ए हिन्द का नारा देकर सनातन ध्रुवीकरण कर दिया । बाबा बागेश्वर का यह कहना कि उन्हें हर इस पार्टी से मतलब है जिसमें हिन्दू हैं , एक बड़ी बात है । चुनावी राज बिहार की धरती पर सनातन सम्मेलन से किसे लाभ हुआ और किसका नुकसान हुआ , हमें उससे मतलब नहीं । यह जरूर है कि हमेशा की तरह छद्मवादी राजनेता खफा हैं ।
मतदाता सूची के सत्यापन से एक तरफ जहां फर्जी वोटरों और रोहिंग्याओं के नाम कट रहे हैं , वहीं दूसरे राज्यों से लाकर बनवाए गए वोटरों का भी सफाया हो रहा है । बिहार के सनातन सम्मेलन का असर निश्चित रूप से मतदाताओं पर पड़ेगा । झुंझलाहट , खीज और कुंठाएं बढ़ने का यही कारण है । जो बात अपने मनमाफिक न जाए उसका दोषारोपण चुनाव आयोग या कोर्ट पर करने की बजाय सरकार पर कर देना एक फैशन बन गया है ।
गौर से देखिए तो समझ जाइएगा.......
बहुत से मित्र कहते हैं कि मोदी के पीएम बनने के बाद देश का माहौल बिगड़ गया है । दरअसल बिगड़ा कुछ नहीं , जो लोग खून का घूंट पीकर दम घोंटकर चुप रह जाते थे , वे बोलने लगे हैं । 11 सालों में लोग बोलते ही नहीं सड़कों पर , बयानों में , सोशल मीडिया आदि पर तीखी प्रतिक्रिया देने लगे हैं । 65 साल की छद्मवादी राजनीति ने जिनके लिए सचमुच डर का माहौल पैदा किया था वे मुखर हो उठे हैं , खुलकर जवाब देते हैं , सड़कों पर उतरते हैं ।
तभी तो जो दशकों से डराते आए , अब वे ही कहने लगे हैं कि डर लगता है , या भारत अब रहने लायक नहीं रहा । देखा ! क्रिया हमेशा क्रिया नहीं रहती ? जिन्हें आज ध्रुवीकरण से डर लग रहा है , ध्रुवीकरण की बुनियाद उन्हीं ने रखी है । उन्होंने 65 साल तक मुस्लिम + दलित वोटों पर राजनीति की , अब ये हिन्दू पर कर रहे हैं । क्रिया जब प्रतिक्रिया बनती है तो लोगों को डर लगता है । सनातन सम्मेलन का यही निष्कर्ष है और यही सच भी है ।
.....कौशल सिखौला