विपक्ष की अनुपस्थिति के दौरान, 1976 के संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा इसे बदल दिया गया था।
जिस संविधान का अत्यंत सम्मान किया जाना चाहिए , उसका अनादर किया गया है।
यह अम्बेडकर के साथ संविधान का सबसे घटिया मज़ाक है। शर्म आनी चाहिए
अम्बेडकर द्वारा लिखे गए संविधान में कोई वक्फ बोर्ड नहीं था....
अम्बेडकर द्वारा लिखे गए संविधान में कोई कौलिजियम सिस्टम नहीं है..
अम्बेडकर द्वारा लिखे गए संविधान में कोई सेक्युलर शब्द नहीं है...
अम्बेडकर द्वारा लिखे गए संविधान में कोई अल्पसंख्यक विभाग नहीं है....
अम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान में कोई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं है..
अम्बेडकर द्वारा लिखे गए संविधान में मंदिर का कोई विभाग नहीं है....फिर भी मंदिर सरकारी नियंत्रण में और केवल मंदिर ही! मस्जिद दरगाह चर्च नहीं! लेकिन जो है उसे कभी लागू नहीं किया गया-वह है "यूनिफॉर्म सिविल कोड " भारत के सभी नागरिकों के लिए "समान नागरिक संहिता "
- पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़